राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने की जद्दोजहद में राकांपा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के लिए बिहार विधानसभा चुनाव उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने के हिसाब से महत्वपूर्ण है।
पटना (ओमप्रकाश तिवारी) । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के लिए बिहार विधानसभा चुनाव उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने के हिसाब से महत्वपूर्ण है। यदि आगामी विधानसभा चुनाव में उसे बिहार में छह फीसद वोट या कम से कम नौ सीटें नहीं मिलीं, तो चुनाव आयोग उससे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन सकता है।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राकांपा को कुल छह सीटें (महाराष्ट्र में 4 तथा बिहार व लक्षद्वीप में 1-1) हासिल हुई थीं। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए कम से कम चार राज्यों में चार लोकसभा सीटें तथा प्रत्येक राज्य में न्यूनतम छह फीसद वोट हासिल करना अनिवार्य है। लोकसभा चुनाव में मिलीं सीटें तो उसे इस गणित में पास करती हैं, लेकिन मत प्रतिशत के मामले में मात खाती दिख रही है। हालांकि विधानसभा सीटों में पार्टी के पास महाराष्ट्र में 41 सीटों के अलावा, नगालैंड में 4, मेघालय-गुजरात में दो-दो तथा उत्तर प्रदेश-मणिपुर में एक-एक सीटें हैं। इतने राज्यों की विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के बावजूद पार्टी किन्हीं चार राज्यों में छह फीसद वोट के पैमाने पर खरी उतरती नहीं दिखती। उसकी चिंता का कारण भी यही है।
यही वजह है कि बिहार चुनाव में पार्टी इतनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है कि उसे राज्य में न्यूनतम छह फीसद या या नौ सीटों पर जीत हासिल हो सके। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को विस्तारित कार्यकारिणी व प्रतिनिधियों की बैठक से पहले माना कि वह बिहार में अधिक सीटों पर चुनाव लड़कर वोट का बंटवारा करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन उन सीटों को छोड़ना भी नहीं चाहती, जहां उसे जीतने की संभावना दिख रही है।
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