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चायवाले ने रिक्शे वालों संग मिल बनाई नेकी की दीवार

हम बात कर रहे हैं पटियाला में नेहरू पार्क के नजदीक बुंदेला मंदिर के बगल में बनी नेकी की दीवार की। यह दीवार एक चाय वाले के घर के बाहर बनी है और इस पर लिखा गया है नेकी की दीवार।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 10:17 AM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 10:22 AM (IST)
चायवाले ने रिक्शे वालों संग मिल बनाई नेकी की दीवार
चायवाले ने रिक्शे वालों संग मिल बनाई नेकी की दीवार

पटियाला (प्रेम वर्मा)। दास्तान-ए-हातिमताई की कहानी ‘नेकी कर दरिया में डाल’ हर किसी ने सुनी होगी। बचपन में यह कहानी हर किसी को लुभाती है और दूसरों की भलाई करने की प्रेरणा भी देती है। कुछ ऐसी ही प्रेरणा देती है पटियाला में बनी नेकी की दीवार है। नेकी करने के लिए लोग जरूरत का सामान यहां डाल जाते हैं, जो जरूरतमंदों तक पहुंचा दिया जाता है। खास बात यह है कि यह प्रयास किसी एनजीओ ने नहीं बल्कि एक साधारण चाय वाले ने तीन रिक्शे वालों के साथ मिलकर किया है।

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निस्वार्थ सेवा 

हम बात कर रहे हैं पटियाला में नेहरू पार्क के नजदीक बुंदेला मंदिर के बगल में बनी नेकी की दीवार की। यह दीवार एक चाय वाले के घर के बाहर बनी है और इस पर लिखा गया है नेकी की दीवार। इस दीवार पर लोग रोजाना की जरूरत के उन सामानों को छोड़ कर जाते हैं, जिसे अब वह इस्तेमाल नहीं करते। एक चाय वाला इन सामानों को एकत्र करता है। जिसे रात में तीन रिक्शे वालों की मदद से शहर की झुग्गी- झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों व जरूरतमंदों तक पहुंचाता है। निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करने वाले इस व्यक्ति का नाम अरविंद कुमार प्रजापति है। इस मुहिम में इनके साथ जुड़े हैं ओम प्रकाश उर्फ पप्पू, चांद राम व प्रताप नाम के रिक्शा चालक। जरूरतमंदों की मदद का यह सिलसिला पिछले दो वर्षों से चल रहा है।

अरविंद ने बताया कि उन्होंने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। उनकी पढ़ाई भी पवन कुमार नामक व्यक्ति की संस्था की मदद से पूरी हुई है। तबसे ही उनके मन में जरूरतमंदों की यथासंभव मदद करने की इच्छा रहती थी। करीब दो साल पहले कुछ लोग उनके पास आए, जिन्होंने खुद को प्राइवेट बैंक का स्टाफ बताया। उन लोगों ने पेशकश करते हुए कहा था कि उनके घर की दीवार को नेकी की दीवार में बदलते हुए यहां पर पेंट करना है। इस पर बात पर सहमति जताई तो बैंक स्टाफ पेंट करवा तस्वीर खींच कर चला गया। इसके बाद पलट कर नहीं आया।

लेकिन इसके कुछ ही दिन में इस दीवार पर लोग अपने पुराने कपड़े, कंबल, चादर, जूते व पढ़ने-लिखने का सामान छोड़ गए। इन सामानों को एकत्र करने की जिम्मेदारी अरविंद ने संभाली। अब एकत्र किए गए सामान को जरूरतमंदों तक पहुंचाना था। इसके लिए उन्हें कुछ लोगों की सहायता चाहिए थी। ओम प्रकाश, चांद राम व प्रताप इसके लिए तैयार हो गए। सिलसिला शुरू हो गया। ये लोग रात को अपना काम खत्म करने के बाद उनके पास आते हैं। अरविंद उनके साथ जाकर वह कपड़े व अन्य सामान जरूरतमंदों में बांट देते हैं।

बेटे भी इस काम में देते हैं साथ 

अरविंद ने बताया कि उनका बड़ा बेटा 11 व दूसरा बेटा नौ साल का है, जबकि तीसरा बेटा अभी सिर्फ चार साल का ही है। दोनों बेटे दीवार पर छोड़े गए सामान को इकट्ठा करने व संभालने में मदद करते हैं।

अरविंद की मदद ने बदली जिंदगी

साठ साल के ओम प्रकाश उर्फ पप्पू बताते हैं कि वह त्रिपड़ी में एक ढाबे में पार्टनर के तौर पर काम करते थे। वक्त के साथ सब कुछ खत्म हो गया। हालात इतने बदल गए कि बुरी तरह से बीमार पड़ गए। तब अरविंद ने राजिंदरा अस्पताल में इलाज करवाया। स्वस्थ होने के बाद उन्होंने फैसला किया कि अब वह भी नेकी की राह पर चलेंगे।

अपनों ने छोड़ा तो गैरों को अपना बनाया

चांद राम 55 साल के हैं। वे बताते हैं कि उनके कुछ परिजन चंडीगढ़ में रहते हैं, लेकिन सब अपने मतबल के लिए निकले। अब वह आर्य समाज इलाके में अकेले रहते हैं और रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करते हैं। वह अरविंद के पास चाय पीने आते थे। यहीं से उन्होंने लोगों की मदद की शुरुआत की। 

प्रेरणा

जरूरतमंदों की मदद को बता रहे अपना फर्ज

दो साल से जारी है प्रयास

चाय की दुकान पर बनी नेकी की दीवार

लोग डाल जाते हैं पुराने कपड़े, सामान

तीन रिक्शा चालक सामान को गरीबों तक पहुंचाने में करते हैं मदद

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