Chabahar port: भारत को निर्यात के लिए खुला नया रास्ता, अफगानिस्तान से ईरान के रास्ते पहुंचेगा सामान
Chabahar port से रविवार को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने निमरोज प्रांत के जारांज शहर से 23 ट्रकों का काफिला रवाना किया। इन ट्रकों में कुल 570 टन के माल हैं
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ईरान में चाबहार पोर्ट (Chabahar port) बनाकर भारत ने जो कूटनीतिक दांव खेला था उसका असर अब दिखाई देने लगेगा। इस पोर्ट से अफगानिस्तान के उत्पादों की पहली खेप अगले कुछ दिनों में भारत पहुंच जाएगी। रविवार को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने निमरोज प्रांत के जारांज शहर से 23 ट्रकों का काफिला रवाना किया। इन ट्रकों में अफगानिस्तान में बने कालीन, सूखे मेवे और कपास समेत कुल 570 टन के माल हैं, जिन्हें चाबहार से भारत के लिए रवाना किया जाएगा। अब तक इन उत्पादों को पाकिस्तान के रास्ते पंजाब के अटारी बॉर्डर से भारत लाया जाता था।
भारत के लिए सामान रवाना करने के लिए आयोजित समारोह में गनी के अलावा भारत, तुर्की व ईरान के राजदूतों समेत इंडोनेशिया व कजाखस्तान के राजनयिक उपस्थित थे। अफगानिस्तान से आने वाले उत्पादों को हतोत्साहित करने के लिए पाकिस्तान की तरफ से कई तरह की अड़चनें खड़ी की जाती रही हैं। पिछले साल से भारत ने हवाई मार्ग से अफगानी सामानों का आयात शुरू किया है। अब चाबहार पोर्ट इसकी जगह ले लेगा।
इस पोर्ट को वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और उसके बाद से भारत अफगानिस्तान के लिए 4,800 कंटेनर भेज चुका है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इससे पाकिस्तान को करारा आर्थिक झटका लगा है। अभी तक पाकिस्तानी गेहूं पर आश्रित अफगानिस्तान में भारतीय गेंहू की धाक जम चुकी है। दिसंबर, 2018 में भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को चाबहार पोर्ट का संचालन सौंपा गया था।
अभी जबकि अफगानिस्तान में शांति बहाली की नई वार्ता प्रक्रिया शुरू की गई है, तब भारत के लिए चाबहार पोर्ट का महत्व और भी बढ़ गया है। भारत चाबहार से जारांज तक नई रेल लाइन भी बिछाने पर काम कर रहा है। पिछले महीने वहां चाबहार दिवस आयोजित किया गया जिसमें उद्योग चैंबर सीआइआइ के नेतृत्व में भारतीय उद्योगपतियों के एक बड़े दल ने हिस्सा लिया था।