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कोरोना से मौत पर चार लाख का मुआवजा देने पर विचार कर रही सरकार, जानें- सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा

केंद्र सरकार ने कोरोना से हुई मौत पर चार लाख रुपये मुआवजा दिए जाने और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की नीति पर जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से दस दिन का समय मांग लिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 08:09 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 06:59 AM (IST)
कोरोना से मौत पर चार लाख का मुआवजा देने पर विचार कर रही सरकार, जानें- सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
केंद्र ने कोरोना से मौत पर मुआवजा के लिए दस दिन का समय मांग लिया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोरोना से हुई मौतों के मामले में वह पीडि़त परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की नीति पर विचार कर रही है। इस संबंध में केंद्र ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दस दिन का समय मांग लिया है। कोर्ट मामले पर 21 जून को फिर सुनवाई करेगा।

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मामले पर चल रहा विचार

शुक्रवार को जस्टिस अशोक भूषण व एमआर शाह की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस याचिका को विरोध में नहीं ले रही है। मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार चल रहा है। जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया जाए।

इतना समय क्‍यों चाहिए

पीठ के न्यायाधीश ने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे लागू भी किया है। उन्होंने खबरों में पढ़ा है कि बिहार ने चार लाख रुपये मुआवजे का एलान किया है। लेकिन ज्यादातर राज्यों ने अपनी नीति तय नहीं की है। इस पर मेहता ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। पीठ ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र की ओर से दो सप्ताह का समय मांगे जाने पर कहा कि उन्होंने पहले नोटिस जारी किया था। इतना समय क्यों चाहिए।

10 दिन में जवाब दीजिए

मेहता ने कहा कि अन्य चीजों में व्यस्तता के कारण समय लग गया लेकिन पीठ ने कहा कि दो सप्ताह नहीं 10 दिन में जवाब दाखिल करिये। कोर्ट ने मामले को 21 जून को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश देते हुए सरकार से कहा कि वह दाखिल किये जाने वाले हलफनामे की प्रति दो दिन पहले शनिवार को ही याचिकाकर्ताओ को दे देगी।

मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत की वजह बताई जाए

इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत का कारण न दिए जाने के कारण भी दिक्कत आती है। इस पर मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार चल रहा है। वकील ने ब्लैक फंगस को भी कोरोना का परिणाम कहा। इस पर पीठ ने कहा कि जब सरकार कह रही है कि वह मामले पर विचार कर रही है तो सरकार का जवाब आने दीजिए।

याचिका में यह की गई मांग

सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं लंबित हैं एक वकील गौरव कुमार बंसल की है और दूसरी वकील रीपक कंसल ने दाखिल की है जिनमें कोरोना से मरने वालों के परिजनों को चार लाख रुपये मुआवजा या अनुग्रह राशि दिये जाने की मांग की गई है। साथ ही कोरोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के बारे मे कोई समान नीति न होने के कारण आने वाली दिक्कतों का मुद्दा उठाते हुए प्रमाणपत्र या दस्तावेज जारी करने की भी मांग की गई है।

मृत्यु प्रमाणपत्र पर क्‍या पॉलिसी है बताएं

गत 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कोरोना से मरने वालों को मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के बारे में कोई समान नीति है। कोर्ट ने कहा था कि इस बारे में समान नीति होनी चाहिए। अगर कोई समान नीति नहीं होगी तो पीडि़त परिजन किसी भी योजना के लाभ का दावा नहीं कर पाएंगे।


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