केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में जवाब, प्रवासी कामगारों को सभी जरूरी चीजें उपलब्ध कराई गईं
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि प्रवासी कामगारों को उनकी जरूरत के मुताबिक उक्त चीजें निशुल्क उपलब्ध कराई गईं।
नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जिन प्रवासी कामगारों को पैदल चलते हुए जाते देखा गया उन्हें नजदीकी रेलवे स्टेशनों पर पहुंचाया गया और जब व जहां जरूरत हुई वहां उन्हें खाना, पानी, दवाएं और कपड़े उपलब्ध कराए गए।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विस्तृत हलफनामे में उक्त जानकारी दी। केंद्र ने बताया कि प्रवासी कामगारों को उनकी जरूरत के मुताबिक उक्त चीजें निशुल्क उपलब्ध कराई गईं। मालूम हो कि प्रवासी कामगारों की मुश्किलों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। केंद्र के हलफनामे के मुताबिक, एक जून तक रेलवे ने 1.63 करोड़ मील और 2.10 करोड़ पेयजल की बोतलें उपलब्ध कराई हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, फ्रंटलाइन वर्कर्स और पूरे देश ने इस अभूतपूर्व कोरोना महामारी से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में वापस भेजने के लिए 15 दिनों का समया दिया था। कोर्ट ने मामले पर 9 जून तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
इस दौरान कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि रेलवे ने 3 जून तक 4,228 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन और सड़क मार्ग से 1 करोड़ लोगों को घर भेजा गया है। बताया कि अभी राज्य सरकारों ने 171 ट्रेन का अनुरोध कर रखा है। अनुरोध मिलने के 24 घंटे के भीतर ट्रेन का बंदोबस्त किया जा रहा है। वहीं, महाराष्ट्र ने सिर्फ 1 ट्रेन का अनुरोध किया है। अभी तक महाराष्ट्र से 802 ट्रेनें चली है।