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राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन संबंधी कानून को मजबूत करने में विफल रहा केंद्र

वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने 21 मार्च को केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामा के जवाब में अपनी बात कही है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 05:17 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 05:17 PM (IST)
राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन संबंधी कानून को मजबूत करने में विफल रहा केंद्र
राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन संबंधी कानून को मजबूत करने में विफल रहा केंद्र

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा गया है कि राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और डिरजिस्ट्रेशन संबंधी कानून को मजबूत करने में केंद्र विफल रहा है। यह हलफनामा जनहित याचिका लगाने वाले वकील ने दाखिल की है। याचिका में दोषी पाए गए और चुनाव के लिए अयोग्य घोषित व्यक्ति को राजनीति दल बनाने और दल का पदाधिकारी बनने से रोकने की मांग की गई है।

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वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने 21 मार्च को केंद्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामा के जवाब में अपनी बात कही है। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि राजनीतिक दल के पदाधिकारी की नियुक्ति उसकी स्वायत्तता का मामला है। इसलिए चुनाव आयोग से पार्टी के रजिस्ट्रेशन को इस आधार पर रोकना सही नहीं होगा कि उसके पदाधिकारी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। उपाध्याय ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि चार दशकों से भ्रष्टाचार चिंता का विषय रहा है। सरकार 1998 से 2016 के बीच भेजी गई चुनाव आयोग की सिफारिशों पर काम करने में विफल रही।

चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय से राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और डिरजिस्ट्रेशन संबंधी मौजूदा प्रावधानों को मजबूत करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा चुनाव और राजनीतिक दलों में सुधार के मसले पर सरकार को सलाह देने के लिए गठित कई समितियों और आयोगों की सिफारिशें भी आ गई हैं। हलफनामे में कहा गया है कि सार्वजनिक जीवन में उच्च स्तर की शुचिता और नैतिकता बनाए रखने के लिए चुनाव प्रणाली में सुधार किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को पूछा था कि चुनावी राजनीति से प्रतिबंधित दोषी व्यक्ति कैसे चुनाव के लिए प्रत्याशी का फैसला कर सकते हैं। इससे सार्वजनिक जीवन में शुचिता कैसे कायम रह सकेगी। शीर्ष अदालत इस मामले का निपटारा करने के लिए तीन मई को सुनवाई करेगी।


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