किसानों के लिए खुशखबरी, कृषि उपज खरीद की गारंटी वाले मसौदे पर लगेगी कैबिनेट की मुहर
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट नोट में उपज की खरीद का दायित्व राज्यों पर होगा, जिन्हें हर तरह की मदद केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज की खरीद गारंटी देने वाली योजना को सरकार बुधवार को होने वाली कैबिनेट में हरी झंडी दे सकती है। योजना के मसौदे को तैयार करने का दायित्व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले नौ प्रमुख मंत्रियों के समूह को सौंपी गई है। समूह की मंगलवार को हुई बैठक में मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का फार्मूला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रेडियो पर अपनी सबसे लोकप्रिय 'मन की बात' में विस्तार से घोषित कर दी थी। इसे लेकर अब कोई संदेह नहीं रह गया है। इसमें ए-2 के साथ एफएल का फार्मूला लागू होगा। इसमें खेती में लगने वाली पूरी वास्तविक लागत को जोड़ा जाएगा, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि ऋण का ब्याज, खेतिहर मजदूरों की मजदूरी, किराये पर ली गई मशीनों का किराया, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया और इतना ही नहीं किसान के घर के लोगों ने खेती में जो काम किया है, उनकी मजदूरी भी जोड़ी जाएगी। इस पूरी लागत का 50 फीसद लाभ के रूप में और जोड़ा जाएगा, जिसे संशोधित व नया न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कहा जा सकता है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली नौ केंद्रीय मंत्रियों के समूह की बैठक में वित्तमंत्री अरुण जेटली, कृषि मंत्री रामविलास पासवान, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभू, रेल मंत्री पीयूष गोयल, परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी और उपभोक्ता मामले राज्यमंत्री सीआर चौधरी प्रमुख रूप से शामिल थे। बैठक में विचार-विमर्श के केंद्र में किसानों की उपज की पूरी खरीद की गारंटी देने की बात रही।
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट नोट में उपज की खरीद का दायित्व राज्यों पर होगा, जिन्हें हर तरह की मदद केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी। बाजार में कृषि उपज की सरकारी खरीद का लाभ फिलहाल सीमित राज्यों के किसानों को ही मिल पाती है। इसका दायरा बढ़ाकर हर किसान को इसमें शामिल करने की योजना तैयार की गई है। ताकि जो भी किसान अपनी उपज को सरकारी खरीद योजना में बेचना चाहता है, उसे इसका लाभ मिले।
बाजार में उपज के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर हुई चर्चा में मध्य प्रदेश का भावांतर फार्मूला रहा। बाजार में मूल्य के अंतर वाली धनराशि का भुगतान संबंधित किसानों के खाते में आन लाइन की जाएगी।