डोकलाम विवाद का असर, अहम हुआ पूर्वोत्तर राज्यों में विकास का एजेंडा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर कुछ ऐसे फैसले किये हैं, जिससे इन राज्यों की विकास की गति की कई अड़चनों को एक झटके में खत्म कर दिया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। डोकलाम विवाद के बाद अगर भारतीय कूटनीतिक सर्किल में चीन को लेकर विचार बदले हैं, तो इस वजह से पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर सरकार की रणनीति भी बदली है। सरकारी अधिकारी यह स्वीकार करने लगे हैं कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को लेकर अब सुस्ती नहीं दिखाई जा सकती है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में अगर पूर्वोत्तर राज्यों में विकास से जुड़े एतिहासिक फैसले किये गये हैं तो यह उसी सोच का नतीजा है। लक्ष्य यह है कि पूर्वोत्तर के सातों राज्य आने वाले दिनों में न सिर्फ पड़ोसी देश चीन से लगे प्रांतों से विकास के क्षेत्र में किसी मायने में कम न हो, बल्कि ये राज्य समूचे दक्षिणी पूर्वी देशों के साथ आर्थिक तौर पर मजबूती से जुड़ जाये।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर कुछ ऐसे फैसले किये हैं, जिससे इन राज्यों की विकास की गति की कई अड़चनों को एक झटके में खत्म कर दिया है। राज्यों की तरफ से विकास परियोजनाओं में हिस्सा देने में हो रही दिक्कतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने वहां की तमाम परियोजनाओं को अपने खर्चे से ही पूरा करने का फैसला किया है। इससे वहां सड़क, रेल व इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी तकरीबन 840 परियोजनाओं का काम तेजी से पूरा हो सकेगा।
लेकिन वहां विकास के पहिया को तेज करने का यह सरकार की दूसरी योजनाएं भी हैं। मसलन, जापान के साथ मिल कर इस समूचे क्षेत्र को विकसित करने का एक व्यापक एजेंडा तैयार किया जा रहा है। 20 मार्च, 2018 को नई दिल्ली में नार्थ ईस्ट के विकास में भारत-जापान की भागीदारी विषय पर आयोजित एक समारोह में जापान के राजदूत ने केंजी हीरामात्सु ने इस भावी सहयोग के बारे में बताया। उन्होंने कहा, 'अब समय आ गया है कि भारत और जापान नार्थ ईस्ट राज्यों के विकास में कोई कमी नहीं छोड़े।' दोनो देशों के बीच यह बात हो रही है कि पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़ी संयुक्त परियोजनाओं को सिंगल विंडो मंजूरी देने की व्यवस्था की जाए।
देश के पूर्वोत्तर राज्यों को सड़क मार्ग से म्यांमार व थाइलैंड से जोड़ने की योजना काफी रफ्तार पकड़ चुकी है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर जब आसियान के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत की यात्रा पर आये थे तब इस सड़क मार्ग को दूसरे देशों तक भी पहुंचाने को चर्चा हुई थी। भारत की मंशा है कि पूर्वोत्तर से आसियान देशों तक जा रही इस सड़क के पास कुछ मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाये जाए। इससे पूर्वोत्तर राज्यों को आर्थिक तौर पर सीधे आसियान की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जा सकेगा।
क्या है भावी रणनीति
1. नार्थ ईस्ट से जुड़ी परियोजनाओं को देंगे सिंगल विंडो अनुमति
2. आसियान से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ कर यहां मैन्यूफैक्चरिंग हब बने
3. राज्यों की लटकी परियोजनाओं को केंद्र अपने खर्चे से करेगा पूरा