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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड का किया बचाव, सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund) का मजबूती के साथ बचाव किया। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:17 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:45 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड का किया बचाव, सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड का किया बचाव, सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund) का मजबूती के साथ बचाव किया। सरकार ने दलील दी कि पीएम केयर्स फंड कोरोना के खिलाफ जंग में एक स्वैच्छिक योगदान (voluntary contributions) का कोष है और एनडीआरएफ (NDRF) एवं एसडीआरएफ (SDRF) फंड के लिए बजट आबंटन को हाथ भी नहीं लगाया गया है। जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की अध्‍यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं।

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एक एनजीओ की ओर से दाखिल की गई याचिका में मांग की गई है कि कोरोना महामारी को लेकर गठित किए गए पीएम केयर्स फंड के तहत जमा की गई धनराशि को राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (National Disaster Response Fund, NDRF) में हस्तांतरित किए जाने का निर्देश जारी किया जाए। शीर्ष अदालत ने याचिका में की गई गुजारिश पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि इस पर बाद में फैसला सुनाया जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री खुद इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसके पदेन न्यासी हैं।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि पीएम केयर्य फंड एक स्वैच्छिक कोष है जबकि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के लिए बजट में धन का आबंटन किया जाता है। एनडीआरएफ या एसडीआरएफ के बजटीय आबंटन को हाथ भी नहीं लगाया जा रहा है। इसमें जो भी खर्च करना होगा उसे किया जाएगा। इस मामले में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि वह इस फंड के गठन पर संदेह नहीं कर रहे हैं लेकिन ऐसा करना आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के खिलाफ है।

एक अन्य पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवकता कपिल सिब्बल ने भी दलीलें रखी। उन्‍होंने कहा कि सीएसआर योगदान के सारे लाभ पीएम केयर्स फंड को दिए जा रहे हैं जो बहुत ही गंभीर मामला है जिस पर विस्तार से गौर करने की जरूरत है। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि साल 2019 में एक राष्ट्रीय योजना तैयार की गई थी जिसमें जैविक आपदा जैसी स्थिति से निबटने के तरीकों को शामिल किया गया था। उस दौरान किसी को भी कोरोना महामारी के बारे में जानकारी नहीं थी। यह जैविक और जन स्वास्थ्य योजना है जो राष्ट्रीय योजना का हिस्सा है। अत: कोई योजना नहीं होने की दलील गलत है। 


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