Move to Jagran APP

अब लंबे समय तक नहीं लटकेंगी भ्रष्टाचार मामलों की फाइलें, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने लिए बड़े फैसले

भ्रष्टाचार के मामलों की फाइलें लंबे समय तक न लटकें इसके लिए सीवीसी ने समयसीमा निर्धारित करने समेत कई अन्य व्यवस्थागत बदलाव करने का फैसला किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 08:57 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 03:25 AM (IST)
अब लंबे समय तक नहीं लटकेंगी भ्रष्टाचार मामलों की फाइलें, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने लिए बड़े फैसले
अब लंबे समय तक नहीं लटकेंगी भ्रष्टाचार मामलों की फाइलें, केंद्रीय सतर्कता आयोग ने लिए बड़े फैसले

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में तैनात मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) की ओर से भ्रष्टाचार की शिकायतों से निपटने में की जाने वाली देरी से केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) परेशान है। फाइलें लंबे समय तक न लटकें इसके लिए आयोग ने ऐसी शिकायतों का निपटारा करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने समेत कई अन्य व्यवस्थागत बदलाव करने का फैसला किया है। इस क्रम में अधूरे संदर्भों पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए आयोग अब बार-बार सीवीओ को रिमाइंडर्स नहीं भेजेगा।

loksabha election banner

सभी सीवीओ और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक, आयोग ने कार्रवाई का ऐसा तरीका तय किया है जिसका लंबित शिकायतों या संदर्भों को अंतिम रूप देने और सलाह देने में पालन किया जाएगा। सीवीसी के मुताबिक, अतिरिक्त जानकारियों या स्पष्टीकरणों के लिए काफी समय से लंबित ऐसे सभी मामलों या शिकायतों की संबंधित अतिरिक्त सचिव की देखरेख में 30 सितंबर, 2020 तक आयोग में आंतरिक रूप से समीक्षा की जाएगी।

अतिरिक्त जानकारी या स्पष्टीकरण के लिए संबंधित शाखा अधिकारी द्वारा विभाग या संगठन के सीवीओ को सिर्फ एक रिमाइंडर भेजा जाएगा जिसका उन्हें एक निश्चित तिथि (अधिकतम 15 दिन) तक जवाब देना होगा। अगर कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ तो संबंधित अतिरिक्त सचिव और सीवीसी विभाग या संगठन के सीवीओ से बात करेंगे और सात दिनों (तारीख निर्धारित करते हुए) में जवाब भेजने के लिए कहेंगे।

अगर फिर भी जवाब नहीं मिला तो एक हफ्ते में सीवीओ के साथ वीडियो कांफ्रेंस के लिए तारीख तय की जाएगी और सचिव या अतिरिक्त सचिव या शाखा अधिकारी जवाब हासिल करेंगे। जवाब नहीं मिलने की सूरत में उचित कार्रवाई के लिए फाइल आयोग को सौंप दी जाएगी।

दरअसल, आयोग में मामलों की जांच और उनके निपटारे के दौरान पाया गया कि आयोग द्वारा संदर्भित शिकायतों और आयोग की पहली अथवा दूसरे चरण की सलाह के लिए संदर्भित सतर्कता मामलों में प्राप्त रिपोर्टों पर संबंधित विभागों या संगठनों से अतिरिक्त जानकारियां या स्पष्टीकरण मांगने के लिए सीवीओ को कई-कई रिमाइंडर्स भेजे जाते हैं। आयोग द्वारा ये जानकारियां इसलिए मांगी जाती हैं क्योंकि सीवीओ की ओर से भेजे गए संदर्भ या तो अधूरे होते हैं या उन पर सही परिप्रेक्ष्य में विचार अथवा विश्लेषण नहीं किया गया होता है।

इस वजह से विभागों या संगठनों से प्राप्त संदर्भों पर आयोग अपनी सलाह देने में असमर्थ होता है। आयोग का कहना है कि सीवीओ की ओर से कई बार जवाब या अतिरिक्त जानकारी काफी देर से भेजी जाती है और इनमें महीनों या वर्षो लग जाते हैं। इससे न सिर्फ कीमती समय बर्बाद होता है बल्कि संदिग्ध या आरोपित अधिकारियों और जनता पर दंडात्मक कार्रवाई का असर भी कम हो जाता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.