Central Government said Rajya Sabha: केंद्र सरकार ने कहा, मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर 7,800 से अधिक याचिकाएं
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर देशभर के उच्च न्यायालयों में 2019 से अब तक 7800 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। कुछ उच्च न्यायालयों ने ऐसी जनहित याचिकाओं का अलग से रिकार्ड नहीं रखा है। पिछले सप्ताह सरकार ने राज्यसभा में यह आंकड़ा जारी किया।
नई दिल्ली, एजेंसी। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर देशभर के उच्च न्यायालयों में 2019 से अब तक 7,800 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। कुछ उच्च न्यायालयों ने ऐसी जनहित याचिकाओं का अलग से रिकार्ड नहीं रखा है। दूसरी तरफ कुछ अदालतों में सलाना आधार पर आंकड़ा मौजूद नहीं है। पिछले सप्ताह एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने राज्यसभा में यह आंकड़ा जारी किया।
सरकार से पिछले दो वर्षो में सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर ऐसी जनहित याचिकाओं के बारे में पूछा गया था। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से इस साल जुलाई तक सभी उच्च न्यायालयों में मौलिक अधिकारों के हनन से संबंधित 7,832 जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर ऐसी जनहित याचिकाओं के बारे में बताया गया है कि सूचनाओं को सुरक्षित नहीं किया जाता है। हालांकि, सरकार ने 'सुप्रीम कोर्ट सब्जेक्ट कैटेगरी 08' के तहत दायर जनहित याचिकाओं की संख्या के बारे में जानकारी दी है। इस श्रेणी के अधीन पत्र याचिका एवं जनहित याचिका मामलों का निष्पादन किया जाता है।
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को सूचित किया था कि देश में पहली बार जनगणना को डिजिटल किया जाएगा बीजेपी सांसद रूपा गांगुली ने राज्यसभा में सवाल किया था जिसके जवाब में नित्यानंद राय ने कहा कि आगामी जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी और इसमें स्वगणना का भी प्रावधान होगा। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन को यह भी बताया कि कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए जनगणना 2021 और अन्य जनगणना से संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है। मोबाइल ऐप के जरिए आंकड़ों का संग्रह किया जाने वाला हैं।
जनगणना की देखरेख के लिए एक जनगणना पोर्टल और दूसरे जनगणनाओं की निगरानी के लिए संबंधित गतिविधियों को विकसित किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जनगणना में, जनसांख्यिकी और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मापदंडों जैसे शिक्षा, एससी / एसटी, धर्म, भाषा, विवाह, प्रजनन क्षमता, विकलांगता, व्यवसाय और व्यक्तियों के प्रवास पर डेटा एकत्र किया जाना है। साथ ही काम या रोजगार और व्यवसाय जैसे प्रवासन के कारणों का डेटा भी एकत्र किया जाएगा।