जहरीली हुई आबोहवा को लेकर केंद्र सरकार सतर्क, एजेंसियों से मांगा ब्यौरा
पिछले दिनों राज्य सरकारों और इससे जुड़ी एजेंसियों को इसी निष्कि्रयता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार भी लगाई थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर में पहुंचने के साथ ही फिर से हो-हल्ला शुरू हो गया है। इससे जुड़ी सभी एजेंसियां सक्रिय हो गई है। हालांकि इनका काम ठीक वैसा ही है, जिसमें प्रदूषण बढ़ने के साथ वह जग जाती है और जैसे ही प्रदूषण के स्तर में कमी आती है, फिर से निष्कि्रय हो जाती है। बावजूद इसके राहत की बात यह है कि दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में तेज बारिश हुई है। जिसके चलते प्रदूषण के स्तर में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
यह स्थिति तब है, जब दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब बना हुआ है। वहीं पिछले दिनों राज्य सरकारों और इससे जुड़ी एजेंसियों को इसी निष्कि्रयता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार भी लगाई थी। बावजूद इसके एजेंसियों के काम-काज के तरीके में कोई बदलाव नहीं आया है।
इसी बीच दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़े स्तर को देखते हुए वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाले संस्थानों के संगठन 'क्लीन एयर कलेक्टिव' ने प्रधानमंत्री से हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की मांग की है। यह मांग तब की गई है,जब दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 400 के पार पहुंच गया है, जबकि पीएम-2.5 का स्तर 268 के आसपास पहुंच गया है। जो कि बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है। गौरतलब है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से जुड़ी एजेंसी सफर इंडिया ने पिछले दिनों ही दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा के खराब होने को लेकर चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन एजेंसियां चुप बैठ रही।
वहीं प्रदूषण के बढ़े स्तर को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित प्रदूषण के रोकथाम के लिए गठित एजेंसियों से उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ली है। साथ ही ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम के तहत जरूरी उपायों को करने के निर्देश भी दिए है। हालांकि मंत्रालय की मानना है कि अभी हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने जैसे हालात नहीं है। एक दिन में इसकी घोषणा नहीं की जाती है। जल्द ही वायु प्रदूषण के स्तर सामान्य हो जाएगे।
चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदूषण के इस स्तर में यह बढ़ोत्तरी तब हुई है, जब पिछले दिनों दिल्ली- एनसीआर के प्रदूषण के पीछे पराली को एक बड़ी वजह बताया जा रहा था। हालांकि इसके जलाए जाने की घटनाएं लगभग खत्म हो चुकी है। ऐसे में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के कारणों को लेकर एजेंसियां भी चुप है। साथ ही बढ़े प्रदूषण के पीछे मौसम में आए बदलाव को वजह मान रही है।