आर्थिक सुधारों को लेकर सरकार का एजेंडा तैयार, आम बजट में होंगी श्रम सुधारों की घोषणा
गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों का परिणाम चाहे जो हो, लेकिन केंद्र सरकार के स्तर पर आर्थिक सुधारों को लेकर कोई कोताही नहीं होने जा रही।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों का परिणाम चाहे जो हो और जिस तरफ भी जाए, लेकिन केंद्र सरकार के स्तर पर आर्थिक सुधारों को लेकर कोई कोताही नहीं होने जा रही। सुधारों को लेकर सरकार का एजेंडा तैयार है। अगले कुछ ही दिनों में न सिर्फ रिटेल सेक्टर में कुछ अहम घोषणाएं सुनने को मिलेंगी, बल्कि सरकारी बैंकों को लेकर सरकार दो टूक फैसला करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा एयर इंडिया के विनिवेश की राह की अड़चनों को दूर करने की घोषणा कर सरकार देशी और विदेशी निवेशकों को एक साथ यह संकेत देने जा रही है कि सुधारों को लेकर उसकी नीयत पक्की है। यही नहीं, श्रम मंत्रालय को अगले चरण के श्रम सुधारों का एजेंडा भी तैयार करने को कहा गया है।
1. रिटेल सेक्टर में विदेशी कंपनियों को ज्यादा अधिकार देने की तैयारी
2. श्रम क्षेत्र में कुछ अहम सुधारों पर भी हो रहा विचार
3. सरकारी बैंकों को लेकर कुछ दीर्घकालिक नीति की संभावना
4. एयर इंडिया के विनिवेश की अड़चनें भी होंगी दूर
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि लंबित बड़े आर्थिक सुधारों पर अगले कुछ महीनों के भीतर दो टूक फैसला किया जाएगा। इसकी अहम वजह यह है कि सरकार के पास अब वक्त बहुत ज्यादा नहीं है। इन दो राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद तकरीबन छह महीने बाद देश के चार बड़े राज्यों दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल फूंक दिया जाएगा। इन चारों राज्यों के चुनावों के कुछ ही महीने बाद आम चुनाव भी होने हैं। साफ है कि इन अहम चुनावों से ठीक पहले सरकार श्रम सुधार या सरकारी उपक्रमों के विनिवेश जैसे संवेदनशील मुद्दों को नहीं लाना चाहेगी। अब देखना यह है कि सरकार की तरफ से इन अहम सुधारों को लेकर घोषणा आम बजट 2018-19 में की जाती है या फिर अलग से एलान किया जाता है।
आम बजट में हो सकती है श्रम सुधारों की घोषणा
उम्मीद इस बात की है कि श्रम कानूनों में नए सुधारों की घोषणा आम बजट में ही की जाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी, 2018 को अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगे जो इस सरकार का अंतिम पूर्ण बजट भी होगा। चूंकि 2019 (मई) में आम चुनाव हैं इसलिए सरकार इसके बाद सिर्फ अंतरिम बजट पेश कर सकेगी।
विदेशी कंपनियों को और सहूलियतें देने पर विचार
सूत्रों के मुताबिक, सिंगल ब्रांड रिटेल सेक्टर में विदेशी कंपनियों के लिए सरकार के स्तर पर कुछ और सहूलियत देने पर विचार किया जा रहा है। इस क्षेत्र में सौ फीसद तक एफडीआइ की अनुमति है, लेकिन इसके लिए अभी भी सरकार के कई विभागों से अनुमति की जरूरत होती है। इस बारे में काफी दिनों से विचार हो रहा है।
सरकारी बैंकों में कम हो सकती है केंद्र की हिस्सेदारी
इसी तरह सरकारी बैंकों के लिए सरकार की तरफ से हाल ही में 2.11 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई है, लेकिन सरकार को मालूम है कि इससे समस्या का समाधान नहीं होने वाला। एनपीए में फंसे इन बैंकों को बहुत बड़ी राशि की जरूरत है। सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय और आरबीआइ की तरफ से उन उपायों पर विचार किया जा रहा है जिससे सरकारी बैंकों में पूंजी की किल्लत को हमेशा के लिए दूर किया जा सके। इस बारे मेंं कई विकल्प सरकार के सामने हैं। मसलन, इन बैंकों के मौजूदा स्वरूप को बरकरार रखते हुए केंद्र की हिस्सेदारी मौजूदा 52 फीसद से भी घटाई जाए। इस बारे में पहले भी कई बार विचार किया गया है।