'लिंग परीक्षण मामले में गुगल, माइक्रोसाफ्ट व याहू के साथ बैठक करे केंद्र'
चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा कि छह सप्ताह के भीतर बैठक करके इस समस्या का समाधान निकाला जाए।
नई दिल्ली, प्रेट्र: लिंग परीक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि गुगल, माइक्रोसाफ्ट व याहू के साथ बैठक करके केंद्र यह सुनिश्चित करे कि इनकी वेबसाइटों पर ऐसी कोई सामग्री नहीं डाली जा रही जो भारतीय कानून का उल्लंघन कर रही है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा कि छह सप्ताह के भीतर बैठक करके इस समस्या का समाधान निकाला जाए। अदालत उस याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि लिंग परीक्षण जैसी सहूलियत मिलने के चलते लिंगानुपात लगातार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि लोग बच्चे का लिंग पता करने के बाद उसे गर्भ में ही मार देते हैं। इससे पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 (प्री कंसेप्शन, प्री नटाल डायगनोस्टिक टेक्नीक) का उल्लंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता साबू मैथ्यू की तरफ से पेश वकील संजय पारिख ने कहा कि निजी कंपनियां अपनी वेबसाइटों पर से इस तरह की सामग्री को खुद डिलीट कर सकती हैं।
गुगल, माइक्रोसाफ्ट व याहू के वकीलों ने इस तर्क का विरोध किया। बेंच ने कहा कि केंद्र इस मामले में नोडल एजेंसी बनाई गई है और वह तीनों कंपनियों से बात करके ऐसा रास्ता निकाले जिससे कानून का उल्लंघन न हो सके। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि नोडल एजेंसी इस तरह के मामलों को गंभीरता से ले रही है। सर्च इंजन की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी व अनुपम लाल दास ने कहा कि जब तक कंपनियों के संज्ञान में इस तरह की शिकायत नहीं लाई जाती तब तक वह सामग्री को हटाने में कामयाब नहीं हो सकतीं। बेंच ने यह आदेश भी दिया कि याचिककर्ता की सलाह पर नोडल एजेंसी गंभीरता से मंथल करे।