जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को केंद्र ने जायज ठहराया- कहा, नहीं चलानी पड़ी एक भी गोली
प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि इनके चलते न तो एक भी आदमी मारा गया और न ही गोली चलाने की नौबत आई।
नई दिल्ली, एजेंसियां। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि इनके चलते न तो एक भी आदमी मारा गया और न ही गोली चलाने की नौबत आई। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार से इन प्रतिबंधों पर सवाल पूछे जाने के बजाय उसे पांच अगस्त के ऐतिहासिक फैसले के बाद स्थितियों से शानदार तरीके से निपटने के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए।
जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से वेणुगोपाल ने कहा कि पांच अगस्त के बाद यदि इंटरनेट सेवा बहाल रहती, तो एक क्लिक में दसियों हजार संदेश अलगाववादियों और आतंकियों तक पहुंचते। इसका नतीजा होता कि व्यापक अराजकता फैल जाती और बड़ी हिंसक घटनाएं होतीं।
कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने कहा कि हाल की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने यह एहतियाती कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2016 में बुरहान वानी समेत तीन आतंकी मारे गए थे। उस समय तीन महीने के लिए जब राज्य में प्रतिबंध लगाया गया, तो किसी ने मुकदमा नहीं किया। और इस बार प्रतिबंधों के खिलाफ 20 याचिकाएं दायर कर दी गई।
बड़े पैमाने पर अराजकता फैल सकती थी
वेणुगोपाल ने कहा कि भारत सरकार ने जिस तरह घटनाओं को संभाला, उसके लिए उसकी तारीफ की जानी चाहिए। कश्मीर घाटी में हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षो से सीमापार से आतंकियों की घुसपैठ कराई जा रही थी। स्थानीय आतंकियों और अलगाववादियों ने आम नागरिकों को बंधक बना लिया था। ऐसे में यदि सरकार ने एहतियाती कदम नहीं उठाया होता, तो यह उसकी मूर्खता होती। वेणुगोपाल ने कहा कि अनुच्छेद 370 से आतंकियों और हुर्रियत कान्फ्रेंस को शह मिलती थी। इसे खत्म करने के बाद यदि बड़ा एहतियाती कदम नहीं उठाया तो बड़े पैमाने पर अराजकता फैल सकती थी।
पाबंदियों पर हर सवाल का जवाब दे प्रशासन
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा कि उसे पूर्ववर्ती राज्य से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद वहां लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में हर सवाल का जवाब देना होगा। न्यायमूर्ति एनवी रमना के नेतृत्व वाली पीठ ने प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में व्यापक पैमाने पर तर्क दिए गए हैं। उन्हें सभी सवालों का जवाब देना होगा। पीठ ने कहा, 'मिस्टर मेहता, आपको याचिकाकर्ताओं के हर सवाल का जवाब देना होगा। आपके जवाबी हलफनामे से हमें किसी नतीजे पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है। यह संदेश न दें कि आप इस मामले पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं।'
मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने प्रतिबंधों पर जो भी बात कही है, वह ज्यादातर 'गलत' है और अदालत में बहस के दौरान वह हर बात का हर पहलू से जवाब देंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास मामले की स्थिति रिपोर्ट है, लेकिन उन्होंने अभी वह अदालत में दाखिल नहीं की है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में प्रतिदिन हालात बदल रहे हैं। रिपोर्ट दाखिल करने के समय वह एकदम वास्तविक हालात का ब्योरा देना चाहते हैं।