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आयुर्वेद की पढ़ाई में केंद्र का रोड़ा

उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद पढ़ाई की राह दुश्वार होती नजर आ रही है। इस विधा के डिग्री कोर्स बीएएमएस में दाखिला तीन अगस्त से शुरू हो जाएगा, मगर केंद्र सरकार की आयुष इकाई ने अब तक राज्य के कालेजों में दाखिले की मान्यता देने की सुनवाई तक शुरू नहीं की है। प्रदेश के आठ सरकारी आयुर्वेदिक कालेजों में बीएएमए

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 02:36 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 02:39 PM (IST)
आयुर्वेद की पढ़ाई में केंद्र का रोड़ा

लखनऊ [परवेज अहमद]। उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद पढ़ाई की राह दुश्वार होती नजर आ रही है। इस विधा के डिग्री कोर्स बीएएमएस में दाखिला तीन अगस्त से शुरू हो जाएगा, मगर केंद्र सरकार की आयुष इकाई ने अब तक राज्य के कालेजों में दाखिले की मान्यता देने की सुनवाई तक शुरू नहीं की है।

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प्रदेश के आठ सरकारी आयुर्वेदिक कालेजों में बीएएमएस पढ़ाया जाता है। इन कालेजों में 320 सीटें हैं। सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन [सीसीआइएम] की सिफारिश पर केंद्र का आयुष महकमा इनमें दाखिले की इजाजत देता है, लेकिन 2014-15 के शैक्षणिक सत्र में अभी सुनवाई तक शुरू नहीं की गई है। इस सत्र की पढ़ाई के लिए दाखिले की प्रक्रिया तीन अगस्त से शुरू हो जाएगी। ऐसे में इस सत्र में आयुर्वेद की पढ़ाई की राह कठिन है।

ऐसे मिलती है मान्यता :

कालेजों को मानक पूरे करने के बाद मान्यता के लिए सीसीआइएम में आवेदन करना होता है। सीसीआइएम कालेजों का निरीक्षण करता है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आयुष इकाई को अपनी संस्तुति भेजता है। आयुष इकाई संस्तुतियों में शामिल आपत्तियों की सुनवाई करता है। उसके बाद मान्यता देने या नहीं देने पर फैसला होता है। इस शैक्षणिक सत्र की मान्यता के लिए दो माह पहले ही सीसीआइएम अपनी संस्तुतियां केंद्र सरकार को भेज चुका है लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

हुआ है थोड़ा विलंब :

सदस्य सीसीआइएम, डॉ. मनोज मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार को कामकाज शुरू किए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ। इस कारण मान्यता के मामले में संभवत: थोड़ा विलंब हुआ। विश्वास है जल्द ही मान्यता पर फैसला हो जाएगा।

प्रयास जारी है :

निदेशक आयुर्वेद, डॉ. रितुराज ने बताया कि समय से मान्यता हासिल करने के लिए आयुर्वेद निदेशालय और सरकार पूरा प्रयास कर रही है।

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