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जीएसपीसी को दिवालियापन से बचाने को रिजर्व बैंक पर केंद्र कर रहा प्रहार

केंद्र सरकार ने देश के शीर्षस्थ बैंक की स्वायत्तता पर नोटबंदी के बाद दूसरी बार प्रहार किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 07:47 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 07:47 PM (IST)
जीएसपीसी को दिवालियापन से बचाने को रिजर्व बैंक पर केंद्र कर रहा प्रहार
जीएसपीसी को दिवालियापन से बचाने को रिजर्व बैंक पर केंद्र कर रहा प्रहार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुजरात सरकार की कंपनी जीएसपीसी के दिवालियपन की हालत में पहुंचने को बड़ा महाघोटाला करार देते हुए मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। पार्टी ने कहा है कि जीएसपीसी और कुछ निजी बिजली कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया से बचाने के लिए केंद्र ने रिजर्व बैंक आफ इंडिया के सर्कुलर को अदालत में चुनौती देकर आरबीआइ की स्वायत्तता का अंतिम संस्कार कर रही है।

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कांग्रेस कोर ग्रुप के सदस्य व वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि जीएसपीसी के तेल ब्लॉक खोज में 20,000 करोड रुपये का घोटाला हुआ है। कैग की 2015 और 2016 की दोनों रिपोर्ट यह बताती है कि जीएसपीसी ने 15 बैंकों से 20 हजार करोड़ तेल व गैस की खोज के लिए कर्ज लिया मगर कृष्णा-गोदावरी बेसिन में तेल-गैस नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत 2005 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर सूबे के नल में पानी की जगह तेल निकलने जैसे दावे कर इसका नाम पंडित दीनदयाल तेल गैस भंडार रखा था। अब 13 साल तेल निकलना तो दूर जीएसपीसी दिवालिया होने के कगार पर है।

जयराम ने कहा कि जीएसपीसी के खिलाफ बैंकों की दिवालिया कार्रवाई शुरू होना प्रधानमंत्री के लिए कलंक होगा और इसीलिए केंद्र सरकार यह प्रक्रिया रोकने के लिए हर कोशिश कर रही है। इसमें रिजर्व बैंक की स्वायत्तता की बलि चढ़ाने से भी सरकार को गुरेज नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि 70 साल में पहली बार रिजर्व बैंक के सर्कुलर को इलाहाबाद हाइकोर्ट में कंपनियों के पक्ष में गलत बता केंद्र सरकार ने देश के शीर्षस्थ बैंक की स्वायत्तता पर नोटबंदी के बाद दूसरी बार प्रहार किया है।

जीएसपीसी पर बैंकों के कर्ज का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल पीएमओ के दबाव में नवरत्न कंपनी ओएनजीसी को 8000 करोड रुपये में इस नाकाम कंपनी का तेल भंडार खरीदने को बाध्य किया। इसके बाद भी 12519 करोड रुपये का दर्जन भर से ज्यादा बैंकों का बकाया कर्ज जीएसपीसी पर है जो वह लौटाने में असमर्थ है।

जयराम ने रिजर्व बैंक के फरवरी 2018 के सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि इसके हिसाब से 1 मार्च 2018 के बाद 2 हजार करोड से अधिक का कर्ज नहीं चुकाने वाली सभी कंपनियों के खिलाफ 180 दिन के बाद कानून के तहत दिवालिया घोषित कर वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

जयराम ने कहा कि स्टेट बैंक आफ इंडिया इस मामले में लीड बैंक है और इसीलिए उसे सरकार के दबाव में आये बिना दिवालिया कार्रवाई शुरू करना चाहिए। उनके अनुसार यह दुर्भाग्य की बात है कि एक सम्मानित नेता दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर महाघोटाला किया जा रहा है। जयराम ने कहा कि जीएसपीसी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू नहीं हुई तो कांग्रेस संसद ही नहीं अदालत में भी इस मामले को ले जाएगी।


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