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केंद्र ने शुरू की रेबीज को 2030 तक खत्म करने की राष्ट्रीय कार्य योजना

भारत में कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज को खत्म करने की खातिर संयुक्त अंतर-मंत्रालयी घोषणा समर्थन बयान की भी शुरुआत की। स्वास्थ्य मंत्री ने बीमारी के कारण मानव जिंदगी को होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 12:05 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 12:05 AM (IST)
केंद्र ने शुरू की रेबीज को 2030 तक खत्म करने की राष्ट्रीय कार्य योजना
केंद्र ने शुरू की रेबीज को 2030 तक खत्म करने की राष्ट्रीय कार्य योजना

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) के अवसर पर कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज को 2030 तक खत्म करने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय कार्य योजना एनएपीआरई की शुरुआत की। 

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने नेशनल एक्शन प्लान फार डाग मीडिएटेड रेबीज ऐलिमिनेशन (एनएपीआरई) की शुरुआत की। दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने 2030 तक भारत में कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज को खत्म करने की खातिर 'संयुक्त अंतर-मंत्रालयी घोषणा समर्थन बयान' की भी शुरुआत की। स्वास्थ्य मंत्री ने बीमारी के कारण मानव जिंदगी को होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया।

रूपाला ने देश के ग्रामीण इलाकों में रेबीज के खतरे के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गांवों में इस बीमारी को आम तौर पर 'हडकवा' कहा जाता है। ग्रामीण इलाकों में महज 'हडकवा' के जिक्र से ही डर पैदा हो जाता है। गांव के लोग जब समझेंगे कि रेबीज ही हडकवा का कारण है तो वे सक्रिय रूप से आगे आएंगे। वे इसमें सरकार की सक्रिय रूप से मदद भी करेंगे।

रूपाला ने वरिष्ठ अधिकारियों से कहा कि वे प्रचलित नाम 'हडकवा' का प्रयोग करें ताकि योजना के तहत होने वाले कार्यकलापों को लोकप्रिय बनाया जा सके। उन्होंने रेबीज को लेकर टीके और दवा के बीच अंतर के बारे में भी जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर कार्ययोजना तैयार की है।


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