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देश को जल्द मिलेगा सीडीएस, जानें क्‍यों पड़ी इसकी जरूरत; कारगिल के बाद आया प्रस्ताव

CDS प्रधानमंत्री मोदी ने जब तीनों सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने की बात कही थी तभी से माना जा रहा था कि इस पद को लेकर सरकार जल्द कोई कदम उठा सकती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 09:08 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 11:48 AM (IST)
देश को जल्द मिलेगा सीडीएस, जानें क्‍यों पड़ी इसकी जरूरत; कारगिल के बाद आया प्रस्ताव
देश को जल्द मिलेगा सीडीएस, जानें क्‍यों पड़ी इसकी जरूरत; कारगिल के बाद आया प्रस्ताव

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। Chief Of Defence Staff केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह जानकारी दी। चार स्टार जनरल को चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाया जाएगा। इसे लेकर काफी समय से मंथन चल रहा था, लेकिन अब जाकर यह कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब तीनों सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने की बात कही थी तभी से माना जा रहा था कि इस पद को लेकर सरकार जल्द कोई कदम उठा सकती है।

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इसलिए पड़ी जरूरत

तीनों सेनाओं को समान गति से आगे बढ़ाने के लिए। युद्ध और सुरक्षा की परिस्थितियां बदल रही हैं। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रही है। फैसले लेने में सैन्य विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। सेनाओं के बीच सहयोग और एकता को बढ़ावा देने के लिए। भारत अब अलग-अलग दृष्टिकोण से आगे नहीं बढ़ना चाहता।

यह है प्रस्ताव

माना जा रहा है कि सीडीएस रक्षा और इससे जुड़े मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सलाहकार के रूप में काम करेंगे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय में एक नए विभाग ‘डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स’ का गठन होगा और सीडीएस इसके सचिव होंगे। इस विभाग को केवल सैन्य क्षेत्र का ही काम देखना होगा, जब रक्षा विभाग देश के अन्य बड़े मामलों से निपट रहा हो। उस वक्त सशस्त्र बल इस विभाग की सीमा में होगा। साथ ही सैन्य मामलों के लिए विषय विशेषज्ञता होगी।

उद्देश्य

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का मकसद देश की सेनाओं को टे्रनिंग, इंतजाम, स्टॉफ और विभिन्न अभियानों के लिए एकीकृत करना है। इसके साथ ही सैन्य सलाह की गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे राजनीतिक नेतृत्व को इन सेवाओं के बारे में जानकारी मिलती रहे। साथ ही सैन्य मामलों में विषय विशेषज्ञता विकसित करना है।

भूमिका और जिम्मेदारी

तीनों मुखिया सेवा संबंधी विशेष मामलों के बारे में रक्षा मंत्री को सलाह देते रहेंगे। सीडीएस किसी भी कमांड के लिए कोई काम नहीं करेंगे। जिम्मेदार अधिकारियों को खुफिया सूचनाओं की जानकारी देंगे। सीडीएस रक्षा संपदा परिषद और रक्षा प्लानिंग कमेटी के सदस्य होंगे। साथ ही वह ऑपरेशन, टे्रनिंग, कम्यूनिकेशन और मेंटिनेंस जैसी अन्य बातों के लिए तीनों सेनाओं के एकीकरण पर काम करेंगे।

सबसे बड़ा फायदा

किसी भी युद्ध के वक्त तीनों सेनाओं का एकीकरण बहुत बड़ी चुनौती होता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की नियुक्ति का सबसे बड़ा फायदा यही होगा कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय रहेगा और सेनाएं बेहतर ढंग से लड़ सकेंगी। पिछले युद्धों में तीनों सेनाओं के बीच समन्वय का अभाव देखा गया था। माना जा रहा है कि इससे काफी असर पड़ेगा।

कारगिल के बाद आया प्रस्ताव

1999 में कारगिल युद्ध के बाद देश की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए थे। युद्ध के बाद बनी समिति ने रक्षा मंत्री के सलाहकार के रूप में सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था।

26 दिसंबर को हो सकती है घोषणा

सूत्रों के मुताबिक, सरकार 26 दिसंबर को पहले सीडीएस के नाम की घोषणा कर सकती है। माना जा रहा है कि वर्तमान थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत पहले सीडीएस हो सकते हैं। बिपिन रावत 16 दिसंबर, 1978 को सेना की 11 गोरखा राइफल्स में शामिल हुए थे। वह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने उनके स्थान पर नए सेनाध्यक्ष होंगे। सीडीएस पद की दौड़ में जनरल रावत के बाद वर्तमान नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह हैं।

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