तृणमूल के बैंक खातों को सीबीआइ की क्लीनचिट
सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने छह महीने की जांच-पड़ताल के बाद तृणमूल कांग्रेस के खातों को क्लीनचिट दे दी है। सीबीआइ को अपनी जांच में सत्तारूढ़ दल के बैंक खातों में किसी तरह का संदिग्ध लेन-देन नहीं देखने को मिला है, खासकर सारधा समूह की कंपनियों
जागरण संवाददाता, कोलकाता । सारधा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने छह महीने की जांच-पड़ताल के बाद तृणमूल कांग्रेस के खातों को क्लीनचिट दे दी है। सीबीआइ को अपनी जांच में सत्तारूढ़ दल के बैंक खातों में किसी तरह का संदिग्ध लेन-देन नहीं देखने को मिला है, खासकर सारधा समूह की कंपनियों से संबंधित।
सारधा प्रमुख सुदीप्त सेन द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पेंटिंग को 1.80 करोड़ रुपये में खरीदने के मामले पर ही मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया था। यह सीबीआइ के एफआइआर का भी हिस्सा था। सारधा समूह ने वर्ष 2010 से 2014 तक तृणमूल को कथित तौर पर करोड़ों रुपये दिए थे जिसे लेकर आशंका जाहिर की जा रही थी कि सारधा समूह के साथ यह लेन-देन अवैध रूप से किया गया था। इसकी पड़ताल के लिए सीबीआइ ने इसी वर्ष तृणमूल के महासचिव सुब्रत बक्सी से पार्टी के खातों का तमाम विवरण मांगा था और उसकी छानबीन भी की थी। इससे पहले सीबीआइ ने पार्टी के पूर्व महासचिव मुकुल राय से भी पार्टी के आय-व्यय, विज्ञापन और अन्य आवंटन के बारे में पूछताछ की थी। तृणमूल ने कई बार सीबीआइ पर हमला करते हुए कहा था कि वह केंद्र के इशारे पर काम कर रही है।
2500 करोड़ रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले में राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया है, जिसमें बंगाल के परिवहन व खेल मंत्री मदन मित्रा, तृणमूल से निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष व सृंजय बोस भी शामिल हैं। इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह को भी सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। इस बीच गत रविवार को सीबीआइ ने असम की विभिन्न चिटफंड कंपनियों के खिलाफ पांच और एफआइआर दर्ज किया है।