नारद स्टिंग केस की सीबीआई करे जांच: कोलकाता हाइकोर्ट
नारद स्टिंग ऑपरेशन की जांच अब सीबीआई करेगी। कोलकाता हाइकोर्ट ने इसकी जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : बहुचर्चित नारद स्टिंग ऑपरेशन कांड की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ करेगी। शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की कार्रकारी मुख्य न्यायाधीश निसिथा मात्रे व न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया है। इस दिन अदालत ने मामले में राज्य पुलिस की भूमिका को दुर्भाग्यजनक बताते हुए उसे 24 घंटे के अंदर इससे संबंधित तमाम दस्तावेज सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है। जबकि सीबीआइ को 72 घंटे के अंदर प्राथमिक रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा गया है।
जानकारी के मुताबिक सुनवाई के दौरान न्यायाधीश निसिथा मात्रे ने कहा कि जब इस मामले में राज्य के नेता, मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी ही जुड़े हुए हैं फिर इस मामले की जांच पुलिस निष्पक्ष रूप से कैसे करेगी इस पर संदेह है? जिनका भी नाम इस मामले में आया है वे समाज के महत्वपूर्ण व प्रतिष्ठित लोग हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस को किसी के हाथों की कठपुतली बन जाने की संभावना है।
सेंट्रल फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) में जितना वीडियो खोलना संभव हो पाया है उसमें पता चला है कि ये वीडियो फुटेज विकृत नहीं है। न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि समाज में इस तरह का भ्रष्टाचार बहुत बड़ा अपराध है। इसे जनता के साथ विश्वासघात करना कहा जाता है। लोगों का सरकार पर विश्वास रहता है पर यहां राजनीतिक व्यक्ति ही जुड़े हुए हैं। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए ही इसे सीबीआइ को सौंपा गया है।
दूसरी ओर अदालत ने इस दिन नारद मामले में फंसे तत्कालीन पुलिस अधिकारी एसएमएच मिर्जा को उनके पद से सस्पेंड कर दिया है। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच का भी निर्देश दिया है।
क्या है मामला?
पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के पहले नारद स्टिंग वीडियो प्रकाश में आया था। इस वीडियो में तृणमूल के 12 शीर्ष नेता, मंत्री, विधायक और सांसद को रिश्वत लेते देखा गया था। इनमें मुकुल राय, सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, शोभन चटर्जी, सुल्तान अहमद, प्रसून बनर्जी, काकली घोष दस्तिदार, मदन मित्रा, शुभेन्दु अधिकारी, अपरूपा पोद्दार, शंकुदेव पंडा और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा शामिल थे। पिछले वर्ष 15 मार्च को नारद कांड की सीबीआइ जांच की एक अलग जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी और 18 मार्च 2016 को मामले सुनवाई शुरू हुई थी। लगभग एक वर्ष तक सुनवाई चलने के बाद इस दिन मामले में हाईकोर्ट ने अपना निर्देश दिया है।
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आरोपियों के वकीलों का कहना था कि यह वीडियो फुटेज नकली हैं। नारद के सीइओ मैथ्यू सैैमुअल ने तृणमूल को बदनाम करने के इरादे से यह कार्य किया है। अदालत के प्रधान न्यायाधीश की डिविजन बेंच ने मैथ्यू सैमुअल के पास से एकत्रित लैपटॉप, आइफोन और पेन ड्राइव को परीक्षण के लिए चंडीगढ फॉरेंसिक लैब में भेजा था और उसकी रिपोर्ट में हाईकोर्ट को पता चला कि 73 वीडियो फुटेजों में से 48 फुटेज असली हैं। 20 जनवरी को सीबीआइ के वकील असरफ अली ने अदालत को यह बताया था कि अगर मामले की जांच का जिम्मा हमें सौंपा जाता है तो हम इसके लिए प्रस्तुत हैं।
सीबीआइ की जांच में मिलेगा न्याय : मैथ्यू
नारद न्यूज वेब पोर्टल के सीईओ मैथ्यू सैमुअल ने कहा कि अब स्वच्छ जांच प्रक्रिया शुरू हुई है और न्याय भी मिलेगा। जो मुख्य आरोपी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए। मेरे खिलाफ भी बहुत सारी साजिश रची गई। समय के साथ-साथ हर चीज की सच्चाई सामने आएगी। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस की जांच पर उन्हें विश्वास है। अब पूरा विश्वास है कि सीबीआइ की जांच में न्याय जरूर मिलेगा।
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