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दाभोलकर की हत्या में इस्‍तेमाल पिस्तौल समुद्र के खाड़ी क्षेत्र में मिली, सीबीआइ ने फोरेंसिक जांच के लिए भेजा

सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में सीबीआइ ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में समुद्र में कम गहराई वाले क्षेत्र से पिस्तौल बरामद करने का दावा किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 09:06 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 09:06 PM (IST)
दाभोलकर की हत्या में इस्‍तेमाल पिस्तौल समुद्र के खाड़ी क्षेत्र में मिली, सीबीआइ ने फोरेंसिक जांच के लिए भेजा
दाभोलकर की हत्या में इस्‍तेमाल पिस्तौल समुद्र के खाड़ी क्षेत्र में मिली, सीबीआइ ने फोरेंसिक जांच के लिए भेजा

पुणे, पीटीआइ। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में सीबीआइ को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में समुद्र में कम गहराई वाले क्षेत्र (खाड़ी) से एक पिस्तौल बरामद करने का दावा किया है। पिस्तौल को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि यह वही पिस्तौल है, जिससे दाभोलकर की हत्या की गई थी। दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने दाभोलकर की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल को खोजने के लिए विदेशी एजेंसी की मदद ली थी। जांच एजेंसी ने पुणे की एक अदालत में दावा किया था कि आरोपित शूटरों में से एक शरद कालस्कर ने हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल तोड़कर ठाणे में समुद्र में फेंक दी थी।

पुणे अदालत के समक्ष सीबीआइ ने दावा किया था कि वकील संजीव पुनालकर ने कालस्कर को पत्रकार गौरी लंकेश समेत कई लोगों की हत्याओं में इस्तेमाल किए गए हथियारों को नष्ट करने की सलाह दी थी। पुनालकर भी इस मामले के आरोपितों में से एक है जिसे गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह जमानत पर है। गिरफ्तार होने से पहले कई मामलों में पुनालकर सनातन संस्था के सदस्यों और कार्यकर्ताओं के वकील थे। एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया था कि 23 जुलाई, 2018 को कालस्कर ने चार देसी पिस्तौलों को नष्ट कर पुणे से नालासोपारा जाते समय ठाणे में समुद्र में फेंक दिया था।

पिछले साल सीबीआइ ने पुणे की अदालत को सूचित किया कि उसे दाभोलकर की हत्या के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार के लिए समुद्र में खोज करने की सभी मंजूरी मिल गई है। सीबीआइ ने अदालत के समक्ष यह भी उल्लेख किया था कि अभी बरसात की वजह से जल स्तर ऊंचा है और जल स्तर में कमी होते ही वे खोज शुरू कर देंगे। नरेंद्र अच्युत दाभोलकर पेशे से डॉक्टर थे और अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागृत करने का काम भी करते थे। इस क्रम में उन्होंने 1989 में महाराष्ट्र अंधविश्वास निर्मूलन समिति भी बनाई थी जिसके वो अध्यक्ष थे।


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