Move to Jagran APP

टिकटों की धांधली करने वाले सीबीआइ प्रोग्रामर के तार अमेरिका और रूस से जुड़े

रेलवे में तत्काल टिकट बुकिंग धांधली मामले में सीबीआई ने इंटरपोल के जरिये अमेरिका और रूस को पत्र लिखा है।

By Arti YadavEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 09:50 AM (IST)
टिकटों की धांधली करने वाले सीबीआइ प्रोग्रामर के तार अमेरिका और रूस से जुड़े
टिकटों की धांधली करने वाले सीबीआइ प्रोग्रामर के तार अमेरिका और रूस से जुड़े

 नई दिल्ली, पीटीआइ। रेलवे में तत्काल टिकट बुकिंग धांधली मामले में सीबीआइ ने इंटरपोल के जरिये अमेरिका और रूस को पत्र लिखा है। पत्र में उन सर्वरों के बारे में सूचना मांगी गई है जिनसे सीबीआइ के गिरफ्तार सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर ने रेलवे की तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में सेंध लगाने के लिए अपने अवैध सॉफ्टवेयर का संचालन किया था।

loksabha election banner

सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि सीबीआइ में सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग और उसके साथी अनिल गुप्ता ने अपने अवैध सॉफ्टवेयर के लिए अमेरिका स्थित सर्वर का सहारा लिया। वहीं पकड़ में आने से बचने के लिए ई-मेल रूसी सर्वर पर तैयार किए थे। उन्होंने कहा कि इन लोगों के बनाए गए सॉफ्टवेयर का एक सर्वर होस्ट होता था। यूजर्स इस तक अजय और अनिल के दिए गए यूजर नेम तथा पासवर्ड के जरिये पहुंच सकते थे। दोनों अपने सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के लिए ट्रैवल एजेंटों से 1,000-1,200 रुपये वसूलते थे।

 

सूत्रों ने बताया कि आरोपियों द्वारा बनाया गया सॉफ्टवेयर 'निओ' अमेरिका स्थित एक सर्वर से संचालित होता था। ऐसा उनके सर्वरों पर ट्रैफिक की गति बढ़ाने और पकड़ में आने तथा एजेंसियों की जांच से बचने के लिए किया गया।सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने अमेरिका और रूस स्थित इन बैक-एंड सर्वरों के बारे में ब्योरा मांगने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया है।

बता दें कि इस तत्‍काल टिकट मिलने में हो रही असुविधा के पीछे बड़े घोटाले का बड़ा पर्दाफाश हुआ था। सॉफ्टवेयर के सहारे तत्काल टिकटों की एक साथ बुकिंग के कारण मिनटों में टिकट खत्म हो जाया करते थे। हैरानी की बात यह है कि यह सॉफ्टवेयर भी सीबीआइ के ही असिस्टेंट प्रोग्रामर अजय गर्ग ने बनाया था।

इस हाईटेक घोटाले में सॉफ्टवेयर के मार्फत ही अजय गर्ग एक-एक टिकट की जानकारी रखता था और उसी के हिसाब से अपना कमीशन लेता था। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार गर्ग अपना हिस्सा भी हाईटेक अंदाज में लेता था। अनिल कुमार गुप्ता से वह बिटक्वाइन में हिस्सा लेता था। कभी भी नकदी की जरूरत पड़ने पर हवाला के जरिये भी पैसे मंगा लेता था। यही नहीं, जब भी अनिल कुमार गुप्ता दिल्ली आता था, तो वह सीधे नकद भी गर्ग को हिस्सा दे देता था।

सीबीआइ को मिली जानकारी के अनुसार अजय गर्ग का यह खेल पिछले एक साल से जारी था। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीएससी के मार्फत सीबीआइ में आने के पहले अजय गर्ग आइआरसीटीसी में प्रोग्रामर था। आइआरसीटीसी में 2007 से 2011 के बीच नौकरी करते हुए उसने उसकी वेबसाइट की खामियों को पहचाना और नया सॉफ्टवेयर बनाकर उसे कमाई की साजिश में जुट गया।

यह भी पढ़ें: लाखों के टिकट की होती है काला बाजारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.