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रिश्वत मामले में अब सीबीआइ जांच तय करेगी नौसेना के चार अधिकारियों का भविष्य

नौसेना भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। मामले की जांच अभी प्रारंभिक दौर में है और नौसेना अधिकारियों का दोष सिद्ध नहीं हुआ है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 07:40 AM (IST)
रिश्वत मामले में अब सीबीआइ जांच तय करेगी नौसेना के चार अधिकारियों का भविष्य
रिश्वत मामले में अब सीबीआइ जांच तय करेगी नौसेना के चार अधिकारियों का भविष्य

नई दिल्ली, प्रेट्र। नौसेना ने शुक्रवार को साफ किया है कि कथित रिश्वतखोरी मामले में फंसे उसके चारों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सीबीआइ की जांच रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएगी। नौसेना ने ट्वीट किया, 'कुछ मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि सीबीआइ ने नौसेना के अधिकारियों पर फर्जी बिल जारी करने का मुकदमा दर्ज किया है। नौसेना भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। मामले की जांच अभी प्रारंभिक दौर में है और नौसेना अधिकारियों का दोष सिद्ध नहीं हुआ है।

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सीबीआइ जांच निष्कर्ष के आधार पर उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि गत दिवस पश्चिमी नौसेना कमान को आइटी हार्डवेयर के लिए 6.76 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी करने के मामले में सीबीआइ ने नौसेना के चार अफसरों कैप्टन अतुल कुलकर्णी, कमांडर मंदार गोडबोले, कमांडर आरपी शर्मा व कुलदीप सिंह बघेल तथा 14 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। केंद्रीय एजेंसी ने इस सिलसिले में दिल्ली, मुंबई, गुजरात व कर्नाटक के 28 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। मामला वर्ष 2016 का है।

फर्जी बिल बनाने में चार अफसरों के खिलाफ केस

श्चिमी नौसैनिक कमांड को आइटी हार्डवेयर के 6.76 करोड़ रुपये के फर्जी बिल जारी करने पर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने नौसेना के चार अफसरों और 14 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। बुधवार को सीबीआइ की दर्ज एफआइआर के अनुसार कैप्टन अतुल कुलकर्णी, कमांडर मंदार गोडबोले, कमांडर आरपी शर्मा और कुलदीप सिंह बघेल पर 6.76 करोड़ रुपये के सात फर्जी बिल बनाने का आरोप है। इस एफआइआर में कहा गया है कि इन सभी नौसैनिक अफसरों ने अपने पद का दुरुपयोग करके नौसैनिक प्रशासन को धोखा दिया है और जनता की रकम को लूटा है। इन लोगों ने यह अपराध धन संबंधी लाभ के लिए किया है। 

सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने इस संबंध में छापेमारी भी की है। पश्चिमी नौसैनिक कमांड मुंबई में जनवरी और मार्च 2016 के बीच इन फर्जी बिलों को सूचना तकनीकी और नेटवर्किग संबंधी हार्डवेयर की आपूर्ति के नाम पर जारी किया गया था। इस बिल में दर्शाए गए किसी भी सामान की आपूर्ति पश्चिमी नौसैनिक कमांड के मुख्यालय को कभी नहीं की गई है। यहां तक कि इन बिलों की मंजूरी, खरीद के आदेश, रिसीद और बाउचर जैसे दस्तावेज भी मुख्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। जांच एजेंसी ने कांट्रोलर ऑफ डिफेंस एकाउंट्स और चार निजी कंपनियों स्टार नेटवर्क, एसीएमई नेटवर्क, साइबरस्पेस इंफोविजन और मोक्ष इनफोसिस के चार लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।


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