सीबीआइ कर रही 3 दर्जन से ज्यादा बैंकिंग फ्रॉड मामलों की जांच, लेकिन नतीजा...!
एक मामला सिंडिकेट बैंक के पूर्व सीएमडी एस के जैन से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व सीएमडी अर्चना भार्गव का है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11.4 अरब रुपये के घोटाले की जांच की जिम्मेदारी देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ को सौंप तो दी गई है, लेकिन अभी तक बैंकिंग फ्रॉड को सामने लाने का इस एजेंसी का रिकॉर्ड बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है। हाल की बात करें तो बैंकिंग फ्रॉड के दो बड़े मामले सीबीआइ को दी गई, लेकिन दोनों की प्रगति कुछ खास नहीं है।
इसमें एक मामला सिंडिकेट बैंक के पूर्व सीएमडी एस के जैन से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व सीएमडी अर्चना भार्गव का है। जैन के खिलाफ तो मामला वर्ष 2014 में तभी दर्ज हुआ था, जब वह बैंक के सीएमडी थे जबकि भार्गव के खिलाफ मामला उनके सेवानिवृत्त होने के एक वर्ष बाद दायर किया गया था।
इन दोनों मामलों के अलावा पिछले 5-6 वर्षों में फंसे कर्जे (एनपीए) में की गई गड़बडि़यों के तकरीबन 40 मामले सीबीआइ को सौंपे गये थे। ये मामले तकरीबन दर्जन भर बैंकों से जुड़े हुए थे। इनमें से कुछ बड़ी कंपनियों की तरफ से जान बूझ कर रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर बैंकों से ज्यादा कर्ज लेने से जुड़े हुए थे।
एक मामले में एक सरकारी बैंक ने एक निजी कंपनी के बकाये कर्ज (एनपीए) की राशि का एक बड़ा हिस्सा माफ कर दिया था। यह सारा काम आरबीआइ के दिशानिर्देशों को ताक पर रख कर किया गया था। वर्ष 2013 में वित्त मंत्रालय की तरफ से इसकी सूचना सीबीआइ को दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि वह यह भी जांच करवाएंगे कि बैंक इन रसूखदार ग्राहकों से कर्ज वसूलने के लिए कितना कारगर कदम उठाते हैं। कुछ मामले सीबीआइ को सौंपे भी गये, लेकिन अभी तक दोषियों के खिलाफ कोई खास कार्रवाई नहीं हुई है।