एएमयू के पूर्व कुलपति पर कसा सीबीआइ का शिकंजा
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार एएमयू में एएफओ की भर्ती के लिए 22 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से नौ लोगों को इस पद के लिए योग्य पाया गया। लेकिन इसमें शाकेब अरसलान का नाम नहीं था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नियमों को ताक पर रख कर 2005 में असिस्टेंट फाइनेंस आफिसर (एएफओ) को नियुक्त करना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नसीम अहमद को भारी पड़ा। सीबीआइ ने नसीम अहमद के साथ ही नियुक्त एएफओ शाकेब अरसलान और एक अन्य अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है। नसीम अहमद 2002 से 2007 से एएमयू के कुलपति थे।
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार एएमयू में एएफओ की भर्ती के लिए 22 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से नौ लोगों को इस पद के लिए योग्य पाया गया। लेकिन इसमें शाकेब अरसलान का नाम नहीं था। बाद में शाकेब अरसलान ने अपील की कि उसकी सीए की डिग्री को नजरअंदाज कर दिया गया, इसी लिए उसे इस योग्य नहीं पाया गया और उसकी इस डिग्री को स्वीकार किया जाए। उस समय एएमयू के डिप्टी फाइनेंस आफिसर यास्मिन जलाल बेग ने अरसलान की अपील को स्वीकार करते हुए उसके नाम को शामिल करने की संस्तुति कर दी। जबकि बेग इसके लिए अधिकृत नहीं थे। सीबीआइ ने बेग को भी आरोपी बनाया है।
सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच में पाया कि सीए की जिस डिग्री के आधार पर अरसलान के इस पद से लिए सबसे योग्य बताते हुए नियुक्त कर दिया। वही सीए की डिग्री वाले एक अन्य उम्मीदवार को बाहर कर दिया गया। यही नहीं, अरसलान ने एएमयू के सामने झूठा दावा किया कि उसे सीए में 55 फीसदी अंक मिले थे। जांच में पाया गया कि उसे कम अंक मिले थे और बाहर किये उम्मीदवार के सीए में ज्यादा अंक थे। सीबीआइ ने नसीम अहमद को पद के दुरूपयोग कर अरसलान को मदद करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोपी बनाया है।
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