लंदन में संपत्ति खरीदने के मामले में बढ़ सकती हैं वाड्रा की मुसीबतें, जांच कर सकती है CBI
आयकर विभाग बेनामी संपत्ति कानून और ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत लंदन स्थित इस फ्लैट की जांच कर रहा है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। लंदन की बेनामी संपत्ति को लेकर प्रियंका गांधी के पति राबर्ट वाड्रा की मुसीबतें और भी बढ़ सकती हैं। आयकर विभाग ने सीबीआइ को इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस दर्ज कर जांच करने के लिए पत्र लिखा है। आरोप है कि लंदन स्थित 12, ब्रायंस्टन स्कवायर को कोरियाई कंपनी सैमसंग इंजीनियरिंग की ओर से दी गई रिश्वत की रकम से खरीदा गया था। यह रिश्वत ओएनजीसी के गुजरात के दहेज में बनने वाले एसईजेड से जुड़े निर्माण का ठेका मिलने के एवज में दी गई थी।
गौरतलब है कि आयकर विभाग बेनामी संपत्ति कानून और ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत लंदन स्थित इस फ्लैट की जांच कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लेकिन सैमसंग इंजीनियरिंग की ओर दी गई रिश्वत की रकम से संपत्ति खरीदने के खुलासे के बाद इस भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत इसकी जांच जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग सीबीआइ को इस संबंध में पत्र लिख चुका है। लेकिन सीबीआइ के अधिकारी फिलहाल इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। सीबीआइ के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग की ओर भेजे गए दस्तावेजों की फिलहाल जांच की जा रही है और एजेंसी जल्द ही इस संबंध में उचित फैसला करेगी।
आयकर विभाग और ईडी के दावे के अनुसार सैमसंग इंजीनियरिंग को दिसबंर 2008 के दिसबंर में दहेज में बनने वाले एसईजेड के लिए ठेका मिला था। इसके छह महीने के बाद 13 जून 2009 को सैमसंग ने संजय भंडारी की कंपनी सैनटेक को 49.9 लाख डालर (तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से लगभग 23.50 करोड़ रुपये) दिया। संजय भंडारी ने बाद में इसमें से 19 लाख पाउंड (तत्कालीन विनियम दर के हिसाब से लगभग 15 करोड़ रुपये) वोर्टेक्स नाम की कंपनी में ट्रांसफर किया। ईडी का दावा है कि कि इसी पैसे का इस्तेमाल 12 ब्राइंस्टन स्कवायर की संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था।
2010 में भंडारी का रिश्तेदार सुमित चढ्डा इस संपत्ति की मरम्मत के लिए वाड्रा को ईमेल भेजकर इजाजत मांग रहा था। यही नहीं, बाद में एक ईमेल में सुमित चढ्डा ने मरम्मत के पैसे की भी व्यवस्था करने के लिए भी कहा था, जिस पर वाड्रा ने जवाब में मनोज अरोड़ा को इसकी व्यवस्था करने का निर्देश देने का भरोसा दिया था। घर की मरम्मत पर लगभग 45 लाख रुपये खर्च किये गए। इस संबंध में ईडी राबर्ट वाड्रा से लंबी पूछताछ कर चुका है। ईडी और आयकर विभाग के अधिकारियों की माने तो उनसे पास इसके राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति होने के पुख्ता सबूत हैं।