IMA Ponzi Scam: सीबीआइ ने कर्नाटक के अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की मांगी अनुमति
विजयशंकर ने कथित तौर पर आइएमए निदेशक से 1.50 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर नागराज की जांच रिपोर्ट को कर्नाटक सरकार तक बढ़ा दिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सीबीआइ ने कर्नाटक कैडर के एक आइएएस समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी है। आरोप है कि अधिकारियों ने आइ-मॉनीटरी एडवाइजरी (आइएमए) को निवेशकों से 4,000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने के लिए क्लीनचिट दी थी और इसके बदले उससे मोटी रिश्वत ली थी।
अधिकारियों के मुताबिक जांच एजेंसी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी व बेंगलुरु के तत्कालीन उपायुक्त बीएम विजयशंकर, कर्नाटक प्रशासनिक सेवा अधिकारी व बेंगलुरु के तत्कालीन सहायक आयुक्त एलसी नागराज व तत्कालीन ग्रामीण अकाउंटेंट एन. मंजूनाथ पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। अगर राज्य सरकार अनुमति दे देती है तो सीबीआइ तत्काल इनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करेगी।
आइएमए के प्रबंध निदेशक से ली मोटी रिश्वत
एजेंसी ने जांच के दौरान पाया कि नागराज कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ इंट्रेस्ट ऑफ डिपॉजिटर इन फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन (केपीडीआइ) एक्ट के तहत आइएमए के खिलाफ जांच शुरू करवाने में सक्षम थे, लेकिन उन्होंने इस्लामिक बैंकिंग के नाम पर लोगों से उगाही कर रही इस संस्था को अनुमति दे दी। यही नहीं उन्होंने बिना जांच के ही कर्नाटक सरकार से आइएमए समूह के खिलाफ चल रहे मामलों को बंद करने की सिफारिश भी कर दी। इसके बदले नागराज ने आइएमए के प्रबंध निदेशक मुहम्मद मंसूर खान से मोटी रिश्वत ली।
विजयशंकर ने कथित तौर पर आइएमए निदेशक से 1.50 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर नागराज की जांच रिपोर्ट को कर्नाटक सरकार तक बढ़ा दिया। इस पूरी कवायद में नागराज के दफ्तर में पदस्थापित मंजूनाथ ने बिचौलिए का काम किया। सीबीआइ ने इस मामले में पिछले साल 30 अगस्त को मंसूर खान व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।