Move to Jagran APP

नहीं टूट रहा देश का जातीय बंधन, दलितों के साथ अंतरजातीय विवाहों में नहीं आ रही तेजी

वर्ष 2018-19 के आंकडों पर नजर डालें तो दिल्ली में लक्ष्य के मुकाबले तीन गुना ज्यादा अंतरजातीय विवाह हुए है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 09:27 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 09:27 PM (IST)
नहीं टूट रहा देश का जातीय बंधन,  दलितों के साथ अंतरजातीय विवाहों में नहीं आ रही तेजी
नहीं टूट रहा देश का जातीय बंधन, दलितों के साथ अंतरजातीय विवाहों में नहीं आ रही तेजी

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। जाति-पाति में बंटे समाज को एक सूत्र में पिरोने की केंद्र सरकार की कोशिशें फिलहाल परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। इसका अंदाजा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन काम करने वाले अंबेडकर प्रतिष्ठान की उस अंतरजातीय विवाह योजना से लगाया जा सकता है, जो शुरु होने के बाद से अब तक कभी भी अपने लक्ष्य को नहीं हासिल कर पायी। इस योजना के तहत दलित परिवार से वैवाहिक संबंध बनाने की कोशिश थी।

loksabha election banner

अंतरजातीय विवाह योजना

पिछले कई सालों से राष्ट्रीय स्तर पर यह लक्ष्य सिर्फ पांच सौ अंतरजातीय विवाह का है, जबकि वर्ष 2018-19 में सिर्फ 120 विवाह ही हो पाए थे। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक सिर्फ 60 विवाह हुए है। खासबात यह है कि इस योजना के तहत अंतरजातीय विवाह करने वालों को ढाई लाख रुपए की आर्थिक मदद भी दी जाती है।

जातीय बंधन की गांठे अभी भी ढीली नहीं हुई

सामाजिक जुड़ाव को लेकर यह स्थिति तब है, जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इसके प्रचार-प्रसार सहित लोगों को जागरुक करने के लिए पूरे साल भर अलग-अलग कार्यक्रम करने के दावे करता है। बावजूद इसके आंध्र प्रदेश जैसे कुछेक राज्यों को छोड़ दें, तो ज्यादातर राज्यों में जातीय बंधन की गांठे अभी भी ढीली नहीं हुई है। इनमें जातीय व्यवस्था में जकड़े उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य भी शामिल है, जो लक्ष्य से काफी दूर है। योजना के तहत उत्तर प्रदेश को 102 अंतरजातीय शादियों का और बिहार को 41 शादियों का लक्ष्य दिया गया है। राज्यों को यह लक्ष्य उनके यहां रहने वाली दलित आबादी को देखते हुए दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 67 और 2017-18 में 136 विवाह हुए थे।

शादी करने वाले जोड़े में से किसी एक का दलित होना जरूरी

गौरतलब है कि देश में सामाजिक समरसता को बढ़ाने और अंबेडकर के सपनों को जमीन पर उतारने के लिए 2013 में केंद्र सरकार ने अंबेडकर फांउडेशन के माध्यम से यह योजना शुरु की थी। हालांकि पहले यह प्रोत्साहन राशि सिर्फ एक लाख रुपए ही थी, जिसे मौजूदा सरकार ने बढ़ाकर ढाई लाख रुपए किया है। इसके तहत शादी करने वाले जोड़े में से किसी एक का दलित होना जरूरी है।

प्रमुख राज्य और उन्हें दिए गए विवाह के लक्ष्य

उत्तर प्रदेश- 102, पश्चिम बंगाल-54, तमिलनाडु-36, बिहार- 41, हरियाणा-13, दिल्ली-7, झारखंड- 10, महाराष्ट्र-33, पंजाब-22,आंध्र प्रदेश-21, मध्य प्रदेश-28, छत्तीसगढ-8 और उत्तराखंड को कुल चार।

दिल्ली में लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा हुए अंतरजातीय विवाह

वर्ष 2018-19 के आंकडों पर नजर डालें, तो दिल्ली में लक्ष्य के मुकाबले तीन गुना ज्यादा अंतरजातीय विवाह हुए है। दिल्ली को अंतरजातीय विवाह का जो लक्ष्य दिया गया था, उसके तहत उसे सिर्फ सात विवाह होने थे, जबकि इसके मुकाबले कुल 25 विवाह हुए है। हालांकि उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 102 विवाह का था, जबकि कुल नौ विवाह ही हो पाए थे। वहीं बिहार में एक भी अंतरजातीय विवाह नहीं हुआ। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.