देश में वैक्सीन लेने के बाद खून का थक्का जमने के केस नगण्य, एईएफआइ कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
सोमवार को नेशनल एडवर्स इवेंट फालोइंग इम्युनाइजेशन (एईएफआइ) कमेटी ने वैक्सीन लेने के बाद दुष्प्रभावों की जांच पर अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी। रिपोर्ट में तीन अप्रैल तक देश में लगाई गई वैक्सीन के दुष्प्रभावों का अध्ययन किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड लेने के बाद खून का थक्का जमने की कुछ शिकायतें मिली थीं। भारत में भी यह वैक्सीन लगवाने वालों में इस तरह की कुछ शिकायतें मिली हैं, लेकिन ये नगण्य हैं। वैक्सीन लगवाने वाले प्रति 10 लाख लोगों में से मात्र 0.61 लोगों में यह दुष्प्रभाव दिखा है। जबकि ब्रिटेन में प्रति 10 लाख पर चार और जर्मनी में 10 मामले सामने आए थे। नेशनल एडवर्स इवेंट फालोइंग इम्युनाइजेशन (एईएफआइ) कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। हालांकि, स्वदेशी कोवैक्सीन लगवाने वालों में इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के लोगों में यूरोपीय लोगों की तुलना में खून का थक्का जमने या बहने के मामले 70 फीसद कम देखे गए हैं।
सोमवार को एईएफआइ कमेटी ने वैक्सीन लेने के बाद दुष्प्रभावों की जांच पर अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी। रिपोर्ट में तीन अप्रैल तक देश में लगाई गई वैक्सीन के दुष्प्रभावों का अध्ययन किया गया है। इसके अनुसार उस दिन तक वैक्सीन की कुल 7,54,35,381 डोज दी गईं थीं, जिसमें से 6,86,50,819 डोज कोविशील्ड की और 67,83,562 डोज कोवैक्सीन की थीं। वैक्सीन लगाने के बाद देश के कुल 753 में से 684 जिलों से दुष्प्रभाव के कुल 23 हजार मामले रिपोर्ट किए गए। इनमें से भी महज सात सौ मामलों में गंभीर दुष्प्रभाव देखे गए थे, जो प्रति 10 लाख पर महज 9.3 मामले थे। रिपोर्ट के अनुसार इन सात सौ मामलों में भी केवल 26 में खून बहने या थक्का जमने की शिकायतें मिली थीं और वो भी सिर्फ कोविशील्ड लगवाने वालों में।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीन लेने वाले प्रति 10 लाख में 0.61 मामलों में इस तरह की शिकायतों का सामने आना कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है। इसीलिए कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए कोविशील्ड वैक्सीन देने की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।