फिजूल याचिकाओं का मामला: सुप्रीम कोर्ट में अपील से पहले मानीटिरिंग कमेटी परखेगी केस
सुप्रीम कोर्ट में केस करने से पहले उसकी जांच परख के लिए हर प्रशासनिक विभाग में निगरानी समिति गठित होगी।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नयी लिटिगेशन पालिसी दाखिल कर कोर्ट को बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में कोई भी एसएलपी,अपील या रिट दाखिल करने से पहले विभागीय मानीटरिंग कमेटी उसे जांचे परखेगी। सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल करने के लिए विधि विभाग को भेजने से पहले निगरानी समिति विभागीय नीति और वित्तीय आधार पर पूरे मामले की छानबीन करेगी। इतना ही नहीं समिति पूर्व के ऐसे ही मामलों में विभाग द्वारा लिए गए फैसलों, राय और नतीजों को भी अपनी रिपोर्ट में बताएगी।
ये बातें उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश की नयी लिटीगेशन पालिसी दाखिल करते हुए कही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिजूल की याचिकाएं दाखिल करने पर गत 23 मार्च को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए मुख्य सचिव से कहा था कि वे विधि विभाग को निर्देश जारी करें कि विभाग इस तरह की फिजूल की तुच्छ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में न दाखिल करे। इसके अलावा कोर्ट ने उनसे ऐसे फिजूल के मामले रोकने के लिए दिशा निर्देश तय करने को भी कहा था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रदेश की ओर से पेश एडीशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने लिटीगेशन पालिसी तैयार कर ली है और इस बावत उनका हलफनामा भी तैयार है। कोर्ट ने उन्हें एक्शन टेकन रिपोर्ट फाइल करने का समय देते हुए सुनवाई टाल दी।
प्रदेश सरकार ने हलफनामे मे कहा है कि मुकदमों का बोझ घटाने और मामलों के त्वरित निपटारे के लिए राज्य सरकार ने लिटीगेशन पालिसी बनाई है जिसके मुताबिक तबतक सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं दाखिल की जाएगी जबतक कि मामले में कानूनी प्रश्न न शामिल हो। तथ्य आधारित मामले में न्यायिक राय निष्कर्ष पर न पहुंची हो। या पब्लिक फाइनेंस पर बुरा असर पड़ रहा हो। कोई संवैधानिक सवाल उठ रहा हो। हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण किया हो। हाईकोर्ट ने विधायी प्रावधान को असंवैधानिक घोषित कर रद कर दिया हो। या फिर हाईकोर्ट की व्याख्या ठीक न हो।
सरकार ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद मुख्य सचिव ने मीटिंग बुलाई और उसमें एसएलपी दाखिल करने के बावत दिशानिर्देश तय हुए और गत 13 जुलाई आदेश जारी हो चुके हैं। नये दिशा निर्देशों का ब्योरा देते हुए सरकार ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में केस करने से पहले उसकी जांच परख के लिए हर प्रशासनिक विभाग में निगरानी समिति गठित होगी। समिति के अध्यक्ष एडीशनल चीफ सिकरेट्री या प्रिंसपल सिकरेट्री या विभागीय सचिव होंगे।
विधि विभाग को मामला भेजने से पहले केस की पड़ताल करते समय निगरानी समिति संबंधित नियम कानूनों का भी जिक्र करेगी। अगर मामला दाखिल करने में देर हुई है तो समिति स्पष्ट तौर पर उसका कारण भी देगी। एसएलपी दाखिल करने से पहले एओआर का भी कानूनी प्रश्न को लेकर संतुष्ट होना जरूरी है। सरकार ने कहा है कि प्रशासनिक विभाग विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों की नियमित तौर पर समीक्षा करेगा।
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने सिंचाई विभाग के सेवानिवृत जूनियर इंजीनियर नरेन्द्र कुमार जैन को सेवानिवृति लाभ देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल सरकार की एसएलपी खारिज करते हुए फिजूल की याचिकाएं दाखिल करने पर नाराजगी जताई थी।