Move to Jagran APP

अनलाक में सावधानी व सतर्कता बरतनी होगी ताकि फिर महामारी पास न फटके

अनलाक शुरू हो गया है। कोविड-19 की दूसरी लहर हमें कई सबक देकर हमारे करीबियों को अपने साथ ले गई है। अब हमें स्थिति की नजाकत को समझना होगा। यह समय है गलतियां सुधारने का खुद जिम्मेदार बनने का बचाव के तरीके अपनाने का।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 12:24 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 12:27 PM (IST)
अनलाक में सावधानी व सतर्कता बरतनी होगी ताकि फिर महामारी पास न फटके
घर-परिवार में अपनाए गए नियमों को बेहतरी से निभाने का...

यशा माथुर। परिवार के लोग एक-एक कर काम पर जाने लगे हैं। घर फिर खाली होने लगा है। कब से लग रहा था कि थोड़ा खाली समय मिले, पति की फरमाइशें कम हों। फुरसत में सहेलियों से गप्पें लड़ाई जाएं, दिनभर के लिए शापिंग पर निकला जाए, लेकिन अब जब अनलाक शुरू हो गया है तो मन को थोड़ा थामकर सोचने की जरूरत है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में हमने कितने अपने खोए हैं और अब ऐसा तीसरी बार न देखना पड़े। इसलिए यह समय कोरोनाकाल में डर से अपनाई गई अच्छी आदतों से सीख लेकर आगे बढ़ने का है। सावधानी व सतर्कता को आवश्यक मानकर फैसले लेने का है।

loksabha election banner

बहुमूल्य हैं परिवारिक मूल्य: जब बात आई परिवार का ध्यान रखने की, घर संभालने की तो महिलाएं इसमें जुट गईं। बिना कोई शिकायत किए उन्होंने समय की कठिनता को समझा। होममेकर सुनयना कहती हैं, हम परिवार की धुरी हैं। हर परिवार में महिलाओं की खुशमिजाजी सभी में जोश भर देती है। इस बात को समझकर ही मैंने संतुलन बनाया और बीते दिन खुशी से गुजारे। अब इसी खुशमिजाजी को बनाए रखना चाहूंगी। कोविड में घर पर रहने के दौरान बच्चों ने भी काफी कुछ सीखा। उन्होंने पारिवारिक मूल्यों के महत्व को समझा। अपने दादा-दादी के साथ समय बिताया। उनसे संवाद बढ़ाया। घर में पूरा परिवार साथ रहा तो सबने जाना कि घर के क्या काम होते हैं। घर के सभी सदस्य अपना काम खुद करने लगे। सीए अरुणिता कहती हैं कि इस समय ने हमें यह भी सिखाया कि हमें बरबादी नहीं करनी है। इस दौरान लोगों के दिलों में गरीबों की मदद के लिए जो लौ जागी है उसे बुझने नहीं देना है।

दुरुस्त रहे मानसिक स्वास्थ्य: पहले महिलाएं अपने शारीरिक स्वास्थ्य की तो अवहेलना करती ही थीं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में तो सोचती तक नहीं थीं। कोरोनाकाल में जब मानसिक मजबूती की जरूरत पड़ी तो उन्होंने हर वो उपाय किया, जो उन्हेंं शांत रख सके। घर पर रहकर ही योग, मेडिटेशन और व्यायाम आदि को जगह दी। उन्हेंं अब इस आदत को नहीं छोड़ना है। इस दौरान अभिनेत्री डोनल बिष्ट ने फिटनेस और मेंटल हेल्थ के वीडियोज डालकर इन्हेंं अपने रोज के रूटीन में शामिल करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया और कहा कि अपने स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता दें।

डोनल कहती हैं, इस दौरान महिलाओं ने कोरोना के डर और दिक्कतों को देखते हुए खुद का ध्यान रखने और धैर्य जैसी चीजों को सीखा है। उन्हेंं अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमेशा जागरूक रहना होगा। लाइफ स्टाइल एक्सपर्ट रचना खन्ना सिंह भी कहती हैं, महिलाओं ने इन दिनों पूरे पविार को जोड़कर रखा है। घर के हर सदस्य की मांग को पूरा किया है। यह तभी हो पाया है जब उन्होंने अपना मानसिक संतुलन दुरुस्त रखा है। इस आदत और अभ्यास को आगे भी जारी रखना चाहिए, अनुशासन बनाए रखना चाहिए ताकि आगे किसी तरह का नुकसान न हो। अगर घरों में रहने वाली महिलाएं किटी पार्टी की सोचेंगी तो गलत होगा। परेशानी तो हो ही रही है, लेकिन हमें सतर्क रहते हुए सहयोग बनाए रखना है। इन दिनों महिलाओं पर कई गुना जिम्मेदारी बढ़ी, लेकिन उन्होंने खूबसूरती से इन्हेंं निभाया है।

पौष्टिक खाना प्राथमिकता: कोरोना के दौरान सबसे अच्छी बात यह हुई कि बाहर के खानों पर महिलाओं की निर्भरता कम हुई और उन्होंने किचन में ही प्रयोग किए। परिवार को तंदुरुस्त रखा। अब होटल्स और रेस्टोरेंट्स खुलने लगेंगे तो इन्हेंं सेहत का खयाल रखते हुए घर के लोगों को घर का बना ताजा और पौष्टिक खाना ही देना चाहिए। घर के इम्युनिटी बूस्टर आहार को ही अपनाना चाहिए ताकि रेस्टोरेंट्स में भीड़ से कोविड प्रोटोकोल न टूटे और रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। एचआर प्रोफेशनल जूही कहती हैं, पहले हम कभी बाहर का बना खाना मंगा लेते और घर पर बनाने से बच जाते थे। अब ऐसा नहीं करेंगे। इम्युनिटी और हाइजीन के लिए घर पर ही संतुलित खाना बनाएंगे। इस प्रक्रिया को जारी रखना ही सेहत के लिए अच्छा होगा। इम्युनिटी मजबूत रखने की बात आज हर कोई समझ रहा है। मैं घर के किचन से ही स्वास्थ्यवर्धक खाना अपने परिवार को खिलाऊंगी।

कम में खुश रहना सीखा: लाकडाउन में काम बंद होने से स्क्रीन पर दिखने वाली अदाकाराओं को भी आर्थिक रूप से काफी झटका लगा। अब मनमाफिक काम करने का समय आया है तो वह काम पर जाने लगी हैं, लेकिन पूरे एहतियात के साथ। अभिनेत्री सीरत कपूर कहती हैं, कोविड में मास्क पहनने और शारीरिक दूरी बनाए रखने की जो आदत बनी है उसे बनाए रखना है। हमारी इंडस्ट्री में भी अब तेजी से काम शुरू होगा, लेकिन सेटअप बिल्कुल अलग होगा। कम लोगों में काम करना होगा। अपने काम के साथ परिवार को भी वक्त देना है। अभिनेत्री रिशिना कंधारी भी कहती हैं, मैंने इस दौरान लाखों लोगों को खाना खिलाया। मैंने इंसानियत सीखी। असली इंसान वह होता है, जो दूसरों की मदद उस समय करता है जब उन्हेंं मदद की जरूरत होती है। मैंने सीखा कि मेरे पास अगर एक रोटी है तो उसे चार टुकड़ों में बांटकर तीन टुकड़े जरूरतमंदों को दूं और एक टुकड़ा खुद खाऊं। मैंने सीखा कि कम में खुश कैसे रहना है। मैंने चाहे पैसा नहीं कमाया, लेकिन इंसान कमाए। नकारात्मक विचारों को पास नहीं आने दिया। एक साथ नहीं रहते हुए भी सभी को साथ लेकर चलना सीखा। अब इस रास्ते से नहीं हटना है मुझे।

गलतियों से लिया है सबक: मेकअप आर्टिस्ट मानसी लखवानी ने बताया कि मुझसे गलती हुई थी। मेरा जन्मदिन 28 मार्च को था। पिछले साल लाकडाउन की वजह से हम इसे मना नहीं पाए थे तो इस बार हमने रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ करीब 100 लोगों की पार्टी रखी। इसके बाद मेरे फूफाजी व बुआजी की तबीयत खराब हो गई। फूफाजी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इससे मळ्झे एहसास हळ्आ कि हमने गलती की। हम दूसरी लहर की भयावहता को समझ नहीं सके। मेरे मन में पछतावा था, जिससे मैंने सबक लिया है। पिछली बार लाकडाउन को हम जेल जैसा महसूस कर रहे थे और इसके खत्म होते ही आजाद घूमने लगे, र्पािटयां करने लगे, लेकिन इस बार सावधान हैं। अब बाजार खुले हैं, लेकिन हम डर रहे हैं। मैं बाहर जाकर दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए तैयार नहीं हूं। मेरा काम मेकअप का है। मैं क्लाइंट से दूरी नहीं रख सकती। इसलिए मैं अभी काम नहीं कर पाऊंगी। मैंने इस बार अपने बहुत करीबियों को खोया है। यह अनलाक अर्थव्यवस्था को खोलने और गरीब लोगों को रोजी मुहैया कराने की कोशिश है। हम सभी को इसकी छूट नहीं लेनी चाहिए। हमारी गलतियों से तीसरी लहर आए और हम सरकार को दोष दें इस बार ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। हमें खुद ही जिम्मेदार रहना है व समय की गंभीरता को समझना है।

बार-बार बाजार न जाएं: प्रोडक्शन सप्लाई लीडर रिचा शर्मा ने बताया कि हमें सैनिटाइजेशन का ध्यान रखना है। लाकडाउन के दौरान हम कहीं नहीं जा रहे थे, लेकिन अब अगर हम कहीं जाते हैं तो हमें मास्क और शारीरिक दूरी जैसी जरूरतों को प्राथमिकता देनी होगी। हमें टीका भी लगवाना है। जितना हो सके साथ एकत्र होने से बचें। हमें अगर अनलाक को सफल बनाना है तो खुद ही लाकडाउन जैसा ही व्यवहार बनाए रखना होगा। घर की चीजें खरीदनी हों तो बाजार जाएं जरूर, लेकिन बार-बार नहीं। ग्रुप में शापिंग करने न जाएं। अपने ही परिवार के किसी सदस्य को साथ ले लें।

असावधानियां भारी पड़ गईं: एडवोकेट सीमा साहनी ने बताया कि पिछली बार अनलाक के बाद लोगों को लगा कि कोरोना खत्म हो गया है, जबकि सरकार ने सुरक्षा व सतर्कता बरतने की हिदायतें दी थीं। फिर भी बाजारों में भीड़ लग गई। बिना मास्क के लोग घूमने लगे। जब सरकार ने टीके के लिए कहा तो लोगों को लगा कि कोविड तो खत्म हो गया है,अब इसकी क्या जरूरत है। टीके को लेकर भ्रम बढ़ते चले गए जिससे कोविड की दूसरी लहर भारी पड़ गई। मैं काम पर जाती हूं तो बाहर से आकर पूरी सावधानी रखती हूं। हम गलती करेंगे तो दूसरों पर प्रभाव पड़ेगा। अभी कोरोना हमारे साथ रहेगा और हमें अपने साथ खिलवाड़ नहीं करना है। हम सभी बिना काम के बाहर नहीं जाते। बाहर का खाना नहीं मंगाते। काम से आकर सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.