भारत से बच्चा गोद लेने वालों के मानसिक स्वास्थ्य की होगी जांच
सीएआरए ने दुनिया भर में अपनी साझेदार एजेंसियों को भारत से बच्चा गोद लेने के आवेदकों की मनोवैज्ञानिक जांच कराने को कहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र । भारत से बच्चा गोद लेने के लिए विदेश में रहने वाले भावी माता-पिता को अब अपने मानसिक स्वास्थ्य की जांच करानी होगी। गोद लेने संबंधी देश की नोडल संस्था सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथारिटी (सीएआरए) ने इस संबंध में अपने नियमों में संशोधन किया है। अमेरिका में गोद ली गई भारतीय बच्ची शेरिन मैथ्यू की मौत के बाद उसने यह कदम उठाया।
सीएआरए ने दुनिया भर में अपनी साझेदार एजेंसियों को भारत से बच्चा गोद लेने के आवेदकों की मनोवैज्ञानिक जांच कराने को कहा है। अथॉराइज्ड फॉरेन एडॉप्शन एजेंसीज (एएफएए) और सेंट्रल अथॉरिटीज जैसी नोडल संस्थाओं को लाइसेंसधारी चिकित्सकों से यह जांच कराने को कहा गया है। जांच में गोद लेने वाले भावी माता-पिता के तनाव और कुंठा बर्दाश्त करने का पता लगाया जाएगा।
करीब 30-45 मिनट की बातचीत में उनका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा। गोद लेने के लिए तैयार किए जाने वाली गृह अध्ययन रिपोर्ट (एचएसआर) के साथ अब मनोवैज्ञानिक जांच की रिपोर्ट भी देनी होगी। यह नियम केवल विदेशी आवेदकों के लिए है। सीएआरए की वेबसाइट पर गोद लेने के लिए रजिस्टर करने वाले आवेदकों का एचएसआर तैयार किया जाता है। इसमें उनके सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और पारिवारिक पृष्ठभूमि का पता लगाया जाता है।
सीएआरए के सीईओ ले. कर्नल दीपक कुमार ने बताया कि शेरिन के मामले को देखकर हमें यह लगा कि एएफएए द्वारा नियमित रिपोर्ट दिए जाने के बावजूद कुछ गलत था जो हम समझ नहीं पाए। गौरतलब है कि अमेरिका के टेक्सन शहर में बिहार से गोद ली गई शेरिन की पालक पिता के जबरन दूध पिलाने के दौरान दम घुटने से मौत हो गई थी।
इसी तरह विदेश मंत्रालय ने भी भारतीय बच्चे को गोद लेने के मामले में पासपोर्ट नियम और सख्त कर दिए हैं। गोद लिए गए बच्चे के पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले माता-पिता को सीएआरए का अनुपालन प्रमाण पत्र देना होगा।