कार में लगी थी आग, कंपनी को देना होगा पांच लाख का मुआवजा, 14 साल पहले का है मामला
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने चेक गणराज्य की प्रमुख वाहन निर्माता की भारतीय सहायक कंपनी को उस व्यक्ति को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है जिसकी कार में 14 साल पहले कथित तौर पर आग लग गई थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने चेक गणराज्य की प्रमुख वाहन निर्माता की भारतीय सहायक कंपनी को उस व्यक्ति को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है, जिसकी कार में 14 साल पहले कथित तौर पर आग लग गई थी। महाराष्ट्र के रहने वाले व्यक्ति ने दावा किया था कि मई 2007 में जब उसका भाई व परिवार रामपुरी से नागपुर लौट रहे थे, तो ड्राइवर ने कार के बोनट से धुआं निकलता देखा। जिसके बाद कार में आग लग गई और 20-25 मिनट में कार पूरी तरह जल गई।
व्यक्ति का कहना था कि उसका 15 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जिसमें से बीमा कंपनी ने 10,99,000 रुपये का ही भुगतान किया। इसके बाद उन्होंने शिकायत दर्ज कराई और मानसिक पीड़ा के लिए कार निर्माता से एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की। नवंबर 2015 में उनकी शिकायत को राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि कार में मैन्युफैक्चरिंग की खामी का होना साबित नहीं होता। इसके बाद उन्होंने एनसीडीआरसी में आदेश के खिलाफ अपील दायर की। 2015 के आदेश को रद करते हुए एनसीडीआरसी के पीठासीन सदस्य राम सूरत राम मौर्य ने कहा कि व्यक्ति को गैर-आर्थिक मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये की राशि देना उचित होगा क्योंकि कार की सर्विस में कमी साबित होती है।
कंपनी का दावा, इलेक्ट्रिक सिस्टम से हुई छेड़छाड़
कार निर्माता कंपनी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने कार के इलेक्टि्रक सिस्टम से छेड़छाड़ की और एक अनधिकृत सर्विस सेंटर पर कार की डिग्गी में स्टीरियो एम्पलीफायर लगवाया। इलेक्टि्रक सिस्टम में शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी होगी। कंपनी ने बताया कि आग टैंपर्ड प्वाइंट से कार के इलेक्ट्रिक सिस्टम में शार्ट सर्किट की वजह से लगी होगी। कंपनी ने कहा कि शिकायतकर्ता खुद आग की घटना के लिए जिम्मेदार था। शिकायत उन्हें बदनाम करने और पैसे के लिए दर्ज की गई थी।