नोबल विजेता का दावा- कभी खत्म नहीं होगा कैंसर, ये है बचाव का एकमात्र तरीका
इम्यूनोथेरेपी से कैंसर के इलाज की नई संभावनाएं तलाशने वाले 2018 के नोबल विजेता विशेषज्ञों ने सम्मेलन में बताई अहम वजहें। कैंसर को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चिकित्सा के लिए इस वर्ष का नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वालों ने उम्मीद जताई है कि अगले कुछ सालों में कैंसर के इलाज में काफी प्रगति की संभावनाएं हैं। हालांकि आशंका है कि कैंसर को जड़ से कभी खत्म (उन्मूलन) नहीं किया जा सकेगा। यूनाइटेड स्टेट के जेम्स एलिसन और जापान के त्सुकु होन्जो ने गुरुवार को एक सम्मेलन में अपने विचार रखे थे। दोनों को सोमवार को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें अभी 9,99,000 डॉलर की पुरस्कार राशि भी प्राप्त होनी है।
दोनों को अक्टूबर महीने में इम्यूनोथेरेपी पर बेहतरीन काम करने के लिए नोबल पुरस्कार देने के लिए चुना गया था। ये इम्यूनोथेरेपी, ट्यूमर से लड़ने के लिए शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को एक्टिवेट करती है। सम्मेलन में एलिसन ने कहा जल्द ही हम मेलेनोमा समेत कुछ अन्य तरह के कैंसर के इलाज की पद्धति में काफी प्रगति प्राप्त कर लेंगे। हालांकि उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि शायद कैंसर मुक्त दुनिया की परिकल्पना कभी संभव नहीं होगी।
इन तरीकों से बच सकते हैं कैंसर से
उनके बयान पर अन्य विशेषज्ञों की राय है कि दुर्भाग्यवश अब भी कई अपरिवर्तनीय प्रकार के कैंसरों का उचित मूल्यांकन किया जाना बाकी है। विशेषज्ञों के अनुसार जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन कर कई तरह के कैंसरों से बचा जा सकता है। सिगरेट का त्याग, भोजन में सुधार, व्यायाम और एचपीवी वैक्सीन लेने वालों लोगों की संख्या बढ़ाकर यह संभव हो सकता है।
ट्यूमर निकाले बिना भी कैंसर को रोका जा सकता है
स्टॉकहोम में एलिसन के साथ पुरस्कार प्राप्त करने वाले होन्जो ने उम्मीद जताई है कि इम्यूनोथेरेपी को रेडिएशन और कीमोथेरेपी के साथ अधिकांश कैसर के खिलाफ इलाज के लिए प्रयोग किया जा सकेगा। उनका मानना है कि कुछ ट्यूमर को पूरी तरह से निकाले बिना भी कैंसर को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
बहुत महंगा है कैंसर का ये इलाज
एलिसन के अनुसार फिलहाल इम्यूनोथेरेपी, कैंसर के इलाज की एक एडवांस पद्धति है और अभी ये काफी महंगी है। इम्यूनोथेरेपी के जरिए कैंसर के इलाज की वर्तमान लागत एक लाख डॉलर से अधिक है। उन्होंने भविष्य में इसकी लागतों में कमी आने की उम्मीद जताई है। जेम्स एलिसन और त्सुकु होन्जो की राय पर दुनिया के अन्य शीर्ष कैंसर विशेषज्ञों ने भी सहमति व्यक्त की है। अन्य विशेषज्ञों का भी मानना है कि केवल लाइफ स्टाइल में कुछ सकारात्मक बदलाव करके ही कई तरह के कैंसर की संभावनाओं से बचा सकता है।
ये हैं कैंसर की मुख्य वजहें
वर्ष 2008 में एमडी एंडरसन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला था कि केवल पांच फीसद कैंसर ही वंशानुगत होते हैं। शेष 95 प्रतिशत कैंसर प्रभावशाली कारकों की वजह से होते हैं। इसमें 30 फीसद कैंसर में धूम्रपान की भूमिका होती है। इसके अलावा 35 प्रतिशत खराब भोजन और 20 प्रतिशत तक इंफेक्शन कैंसर की वजह हो सकती है।