शोध को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में चलेगी मुहिम
सुधार की ओर। यूजीसी ने बनाई योजना गठित की उच्च स्तरीय कमेटी। प्रस्तावित नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के गठन की भी तैयारी तेज। कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक एनएफआर के गठन के साथ ही देश में होने वाले गैर-जरूरी शोध कार्यो पर भी बंदिश लगेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनने की राह में शोध कार्यो में पिछड़े होने की बाधा अब दूर होती दिख रही है। संस्थानों को अब शोध के पर्याप्त मौके उपलब्ध कराए जाएंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर एक पूरी योजना तैयार की है। जिसके तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए खास मुहिम चलाई जाएगी। जिसकी शुरुआत अगले महीने से हो सकती है।
इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल का जो खाका तैयार किया है, उनमें शोध को बढ़ावा देने के विषय को प्रमुखता से शामिल किया गया है। यूजीसी ने इस बीच शोध को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी गठित कर दी है। इस टीम को अगले महीने तक रिपोर्ट देनी है। ग्यारह सदस्यीय इस टीम का मुखिया यूजीसी सदस्य डाक्टर एमके श्रीधर को बनाया गया है। टीम में शोध और नवाचार (इनोवेशन) के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को भी रखा गया है।
यूजीसी ने फिलहाल जो योजना बनाई है, उनमें सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अब शोध कार्यो से जुड़ना जरूरी होगा। इसकी संख्या भी निर्धारित की जा सकती है। इन गतिविधियों को तेज करने के साथ शोध के पूरे ताने-बाने को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनएफआर) के गठन की भी तैयारी शुरू कर दी गई है। यह फाउंडेशन देश में होने वाले सभी शोध कार्यो पर नजर रखेगा। यह उद्योग या समाज की जरूरत को पहचानते हुए उससे जुड़े शोध कार्यो से सभी को जोड़ने का काम करेगा।
कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक एनएफआर के गठन के साथ ही देश में होने वाले गैर-जरूरी शोध कार्यो पर भी बंदिश लगेगी। जिन संस्थानों के पास शोध का अपना खुद का विजन या विषय नहीं होगा, उन्हें ऐसे कार्यो से जोड़ा जाएगा। मौजूदा समय में बड़ी संख्या में ऐसे विश्वविद्यालय हैं जहां लैब के रखरखाव पर भारी भरकम खर्च है, लेकिन शोध की गति बहुत धीमी है। इन लैबों को बाहर के शोधार्थियों के लिए खोलने का भी प्रस्ताव है। अभी इनमें सिर्फ पढ़ने या पढ़ाने वाले लोग ही काम कर सकते हैं।