आतंकी फंडिंग पर एनआइए का अभियान जारी, हवाला कारोबारी निशाने पर
घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद पर लगाम लगाने के लिए उसकी फंडिंग के खिलाफ एनआइए का अभियान जारी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। घाटी में आतंकवाद और अलगाववाद पर लगाम लगाने के लिए उसकी फंडिंग के खिलाफ एनआइए का अभियान जारी है। पत्थरबाजों के दो सरगनाओं को गिरफ्तार करने के अगले दिन एनआइए ने हवाला और सीमा पार व्यापार की आड़ में आतंकी फंडिंग हासिल करने वाले व्यापारियों व हवाला कारोबारियों पर छापा मारा है। इसके तहत घाटी में 20 और दिल्ली में सात स्थानों की तलाशी ली गई है। आतंकी फंडिंग के आरोप में एनआइए अभी तक 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
-कश्मीर में 20 और दिल्ली में सात स्थानों पर मारा छापा
-सीमा पार से व्यापार करने वाले और हवाला कारोबारी निशाने पर
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं से पूछताछ में खुलासा हुआ कि सीमा पार व्यापार की आड़ में और हवाला कारोबारियों की मदद से विदेश से आतंकी फंडिंग के लिए पैसे मंगाए जाते हैं। इस काम में दिल्ली और घाटी के कई व्यापारी और हवाला आपरेटर संलिप्त हैं। गहन छानबीन के बाद उनकी पहचान की गई और उनके घर और दफ्तरों की तलाशी ली गई। उन्होंने कहा कि छापे में 2.20 करोड़ रुपये नकद के साथ-साथ वित्तीय लेनदेन के कई अहम दस्तावेजी सबूत मिले हैं। छापे में बड़ी मात्रा में कंप्यूटर, हार्डडिस्क और मोबाइल फोन भी जब्त किये गए हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बरामद किये गए दस्तावेजों और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों की जांच की जाएगी और उसके आधार पर इन व्यापारियों और हवाला कारोबारियों से पूछताछ की जाएगी।
खुफिया एजेंसियां सीमा पार व्यापार और हवाला के मार्फत आतंकी फंडिंग की आशंका लंबे समय से जताती रही हैं, लेकिन कभी इसकी जांच नहीं की गई। पहली बार एनआइए का इनके खिलाफ शिकंजा कसा है। इसके पहले एनआइए सात हुर्रियत नेताओं के साथ-साथ घाटी के बड़े व्यापारी जहूर वटाली को गिरफ्तार चुकी है। वहीं मंगलवार को गिरफ्तार किये गए दो पत्थरबाजों को दिल्ली के पटियाला हाऊस कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 10 दिन के लिए एनआइए की हिरासत में भेज दिया है। एनआइए अब उनसे पत्थरबाजी के लिए होने वाली फंडिंग पर विस्तार से पूछताछ करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बलों से खिलाफ पत्थरबाजी ने इन दोनों की केंद्रीय भूमिका के सबूत मिले हैं। ये न सिर्फ खुद पत्थरबाजी करते थे, बल्कि अलगाववादियों के इशारे पर सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजों को इकट्ठा भी करते थे। इन दोनों के माध्यम से ही पत्थरबाजों को पैसे बांटे जाते थे।