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एयर इंडिया के विनिवेश को सरकार की मंजूरी

एयर इंडिया पर इस समय कुल मिलाकर लगभग 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 09:27 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 09:27 PM (IST)
एयर इंडिया के विनिवेश को सरकार की मंजूरी
एयर इंडिया के विनिवेश को सरकार की मंजूरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने समस्याग्रस्त एयर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया।

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फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि एयर इंडिया का विनिवेश करने के नागरिक विमानन मंत्रालय के प्रस्ताव को सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर स्वीकृति दे दी है। यह काम कैसे होगा, विनिवेश की प्रक्रिया किस तरह पूरी की जाएगी, एयर इंडिया की परिसंपत्तियों, होटलों तथा कर्ज का क्या होगा इस सब पर वित्तमंत्री की अध्यक्षता में गठित होने वाली समिति विचार करेगी।

एयर इंडिया पर इस समय कुल मिलाकर लगभग 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। जबकि इसका संचित घाटा भी 48 हजार करोड़ रुपये के करीब है। इसे संकट से उबारने के लिए संप्रग सरकार ने इस 2012 में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के दस वर्षीय पुनरुद्धार पैकेज का एलान किया था। परंतु लगभग 24 हजार करोड़ रुपये मिलने के बावजूद इसकी हालत में बस इतना सुधार हुआ है कि अब यह आपरेटिंग लाभ में पहुंच गई है। एटीएफ के दाम घटने के कारण वर्ष 2015-16 में इसे 105 करोड़ रुपये का आपरेटिंग लाभ हुआ। लेकिन संचित घाटे और कर्ज के कारण इसके पूर्ण पुनरुद्धार की कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आती। यही वजह है कि सरकार ने इसके विनिवेश का फैसला किया है।

सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर सरकार के समक्ष दो विकल्प हैं। पहला विकल्प नीति आयोग ने सुझाया है जिसके अनुसार एयर इंडिया का पूर्ण विनिवेश होना चाहिए। यह सुझाव उन विदेशी एयरलाइनों के पुनरुद्धार के अनुभव पर आधारित है, जिन्हें सरकार ने पूरी तरह निजी क्षेत्र को बेचकर पीछा छुड़ाया। इनमें ब्रिटिश एयरवेज, जापान एयरलाइंस तथा आस्टि्रयन एयरलाइंस शामिल हैं।

इन मामलों में सरकार ने सरकारी एयरलाइनों के संपूर्ण कर्ज को अपने ऊपर ले लिया था। जबकि दूसरा नागरिक विमानन मंत्रालय के सुझाव पर आधारित है। इसमें एयर इंडिया की विभिन्न सब्सिडियरियों का अलग-अलग विनिवेश करने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव को अपनाने पर सरकार को कम से कम एयर इंडिया के 33 हजार करोड़ रुपये के कार्यशील ऋण से छुटकारा मिल सकता है। यह ऐसा ऋण है जिसका ब्याज चुकाने के लिए ही एयर इंडिया को हर साल 4500 करोड़ रुपये निकालने पड़ते हैं।

सूत्रों के अनुसार टाटा समूह, स्पाइसजेट और इंडिगो ने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।

एयर इंडिया की दो एयरलाइन सब्सिडियरी (एयर इंडिया एक्सप्रेस व एलायंस एयर) तथा छह सहायक सब्सिडियरी (होटल कारपोरेशन आफ इंडिया, एयर इंडिया चार्टर्स, एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज, एयर इंडिया अलाइड सर्विसेज, एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज तथा एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज) हैं। जबकि 140 हवाई जहाजों का बेड़ा है। अचल संपत्तियों के नाम पर इसके पास मुंबई में मुख्यालय भवन के अलावा 32 एकड़ जमीन है। इसके अलावा नई दिल्ली, लंदन, हांगकांग, नैरोबी, जापान तथा मारीशस में भी इसकी इमारतें हैं।

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