कोरोना वैक्सीन बनाए जाने के साथ देश के कोने-कोने तक पहुंचना भी अहम, जानें- सरकार की व्यवस्था के बारे में
दुनिया में अब तक 5.91 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि मृतकों की संख्या 13.95 लाख को पार कर चुकी है। भारत में बीते 24 घंटे में 37975 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 91 लाख से अधिक हो गए हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। हाल ही में दुनिया में आए पहले कोरोना वायरस के मामले को एक साल हुआ है। चीन में सबसे पहले कोरोना वायरस का केस आया था और उसके बाद पूरी दुनिया को इस बीमारी ने अपनी जकड़ में ले लिया। तमाम उपाये किए गए और अभी भी किए जा रहे हैं, लेकिन कहीं जगहों पर कोरोना की अलग अलग लहर कहर मचा रही है। सभी को टीके की जरूरत है और दुनिया में कई टीके तैयार भी किए जा रहे हैं। कुछ वैक्सीन अंतिम चरण के ट्रायल पर हैं। वहीं, भारत के हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन ने भी साफ कर दिया है कि जल्द वैक्सीन बनके लोगों के बीच आएगी। हालांकि, भारत जैसे आबादी वाले देश में हर इंसान को जल्द वैक्सीन कैसे मिलेगी? देश के कोने-कोने में वैक्सीन को पहुंचाने के लिए सरकार को बेहतर व्यवस्था की जरूरत है, लेकिन कुछ ऑप्शन हमारे सामने हैं, जिनके जरिये यह काम किया जा सकता है।
कोल्ड चेन की व्यवस्था
फिलहाल देश में गरीब मरीजों और कोने-कोने पर वैक्सीन को पहुंचाने के लिए कोल्ड चेन बनाने की व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि, भारत में यह व्यवस्था लचर हालत में है। कुछ देशों में तो टीका बनने से लेकर लगने तक उसे सुरक्षित रखने का काफी इंतजाम कर लिया गया है, लेकिन अपने देश में अभी यह इंतजाम नहीं है। भारत में कोल्ड चेन की मौजूदा व्यवस्था वैक्सीन को संभालकर रखने के लायक नहीं है। इसके लिए शुन्य से लेकर -75 डिग्री सेंटीग्रेड से नीच की बर्फीली ठंडक का इंतजाम चाहिए।
देश में पोलियो के टीके कोने-कोने तक लगाए गए और इससे एक बेहतरीन अनुभव हुआ, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका आकार व प्रभाव कोरोना वायरस से सीमित था। कोरोना वैक्सीन को सभी तक पहुंचाने का काम आबादी के लिहाज से उससे बहुत बड़ा है। खासकर तब जब मौजूदा समय में सरकारी खजाने की हालत पतली हो चुकी है। ऐसे में यह काम अकेले सरकार के बूते का नहीं हो सकता। इसमें देश के तमाम क्षेत्रों से भी हाथ बंटाना होगा। वहीं, गरीब मुल्कों को आसानी से कोरोना वैक्सीन मिले इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी काम कर रहा है और खुद की टीमों को भी देशों में लगाने जाने की बात कही जा रही है।
भारतीय एयरलाइंस, हवाई अड्डे वितरण की तैयारी में
चूंकि दुनिया भर में कुछ कोरोना वायरस वैक्सीन परीक्षण अपने अंतिम चरण में हैं, इसको लेकर भारतीय हवाई अड्डों और एयरलाइंस ने देश में टीकों के वितरण के काम के लिए कमर कस ली है। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और जीएमआर हैदराबाद हवाई अड्डे के कार्गो को COVID-19 टीकों के वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए निर्धारित किया गया। बताया गया कि वे अत्याधुनिक व्यवस्था, खासकर तापमान-संवेदनशील वितरण प्रणाली से लैस हैं।
कर्नाटक ने बनाया मॉडल
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर ने मंगलवार को कहा कि COVID-19 पर स्टेट टास्क फोर्स ने हाल ही में वैक्सीन स्टोरेज और डिलीवरी के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा की। सरकार ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के मानदंडों के अनुसार 29,451 सेशन साइटों (टीकाकरण स्थलों) और 10,008 वैक्सीनेटरों को तैयार किया है। बताया गया कि हेल्थ केयर वर्कर्स का डेटा पहले से ही सभी सरकारी सुविधाओं के लिए संकलित किया गया है। कम से कम 80 फीसद निजी स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा भी अपना डेटा साझा किया गया है। बाकी डेटा भी जल्द जुटा लिया जाएगा। राज्य में स्टोरेज सुविधाओं पर, मंत्री ने कहा कि कर्नाटक में टीकों के भंडारण और वितरण के लिए लगभग 2,855 कोल्ड चेन पॉइंट हैं।
वहीं, देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी बीते दिन में प्रदेश में लोगों को टीका उपलब्ध कराए जाने के ऊपर जानकारी दी थी। बताया गया था कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के सभी 75 जिलों में कोरोना वैक्सीन के लिए 15 दिसंबर तक कोल्ड चेन बरकरार रखने की व्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी। उन्होंने इसके साथ ही प्रदेश में पर्याप्त संख्या में वैक्सीन लगाने वालों यानी वैक्सीनेटर की उपलब्धता पर भी जोर दिया है।
दुनिया में अब तक 5.91 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि मृतकों की संख्या 13.95 लाख को पार कर चुकी है। भारत में बीते 24 घंटे में 37,975 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 91 लाख से अधिक हो गए हैं। इसमें से 86.04 लाख लोग पूरी तरह से संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। वहीं, 480 और लोगों की मौत के बाद मृतकों की कुल संख्या बढ़कर 1 लाख 3 हजार 218 हो गई है।