Move to Jagran APP

इंसानों की ही नहीं, खेतों की सेहत के लिए भी बेहद घातक साबित हो रहा पराली जलाना

पराली जलाने से केवल मानव स्वास्थ्य पर ही बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि खेत की सेहत के लिए भी घातक होता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 08:06 PM (IST)
इंसानों की ही नहीं, खेतों की सेहत के लिए भी बेहद घातक साबित हो रहा पराली जलाना
इंसानों की ही नहीं, खेतों की सेहत के लिए भी बेहद घातक साबित हो रहा पराली जलाना

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण लोगों की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कई उपाय अपनाए जा रहे हैं। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पराली जलाने से केवल मानव स्वास्थ्य पर ही बुरा असर नहीं पड़ता, बल्कि खेत की सेहत के लिए भी घातक होता है। कृषि मंत्रालय के एक समारोह में देशभर से आये किसानों से उन्होंने पराली न जलाने की अपील की। तोमर ने कहा कि पराली के धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और लोगों को सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है।

loksabha election banner

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए सरकार ने कई उपाय किये हैं, जिसका लाभ उठाकर किसान फायदा कमा सकते हैं। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों धान की पराली जलाने से इस मौसम में धुंए का बादल छा जाता है, जिससे लोगों को सांस लेने में भारी दिक्कत होती है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय ने व्यापक रूप से कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिससे किसान पराली जलाने से बच सकते हैं।

तोमर ने बताया कि खेत में पराली जलाने से खेतों की मिट्टी में केंचुआ समेत कई तरह के जीव जंतु रहते हैं जो मिट्टी की उर्वर क्षमता और गुणवत्ता को लगातार बढ़ाते हैं, लेकिन खेत में पराली जलाने की गरमी से वे मर जाते हैं। ऐसे में मिट्टी की उर्वर क्षमता लगातार गिरती रहती है। इसलिए अगर मिट्टी की क्षमता को बनाए रखना है, तो पराली जलाना बंद कर देना चाहिए।

यह भी पढ़ें: पराली के धुएं की घुटन से बचाएगा अब ये औद्योगिक संगठन, पंजाब व हरियाणा के 100 गांवो को लिया गोद

हालांकि, इस बार पिछले सालों के मुकाबले पराली जलाने की घटनाएं भी कम हुई हैं। इस पर अधिकाधिक रोक लगाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के स्तर पर सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। वैसे जानकारों की मानें तो दिल्‍ली और उत्‍तर भारत के कुछ राज्‍यों में पराली के साथ-साथ प्रदूषण के आंतरिक स्रोत्र भी जिम्मेदार हैं ही, उससे भी बड़ी वजह मौसमी परिस्थितियां हैं। सर्दियों के दौरान हवा की गति या तो कम हो जाती है या फिर नहीं के बराबर रह जाती है। ऐसे में हवा की नमी के साथ प्रदूषक तत्व भी जमने लगते हैं। हालांकि जैसे ही हवा की रफ्तार बढ़ती है, प्रदूषण का स्तर नीचे आ जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.