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देश के हाईकोर्ट और निचली अदालतों के हर जज पर मुकदमों का भारी बोझ

कानून मंत्रालय के अनुसार हाई कोर्ट के प्रत्येक जज के पास लगभग 4500 मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 09:58 PM (IST)
देश के हाईकोर्ट और निचली अदालतों के हर जज पर मुकदमों का भारी बोझ
देश के हाईकोर्ट और निचली अदालतों के हर जज पर मुकदमों का भारी बोझ

नई दिल्ली, प्रेट्र। कानून मंत्रालय के अनुसार हाई कोर्ट के प्रत्येक जज के पास लगभग 4500 मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं। वहीं अधीनस्थ न्यायपालिका की बात करें तो वहां के प्रत्येक न्यायाधीश के पास 1,300 मामले सुनवाई को लंबित है। बता दें कि हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर निचली अदालतों में रिक्त पदों को तेजी से भरने का आग्रह किया था।

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राष्ट्रीय न्यायिक ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक 2018 के अंत तक जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में 2.91 करोड़ मामले लंबित थे, जबकि देश के 24 हाई कोर्ट की बात करें तो यहां पर लंबित 47.68 लाख मामले फैसले की बाट जोह रहे हैं। एक जनवरी से तेलंगाना में हाई कोर्ट की शुरुआत हो गई। इस तरह देश में अब 25 उच्च न्यायालय हो गए हैं।

संसदीय उपयोग के लिए एकत्र किए गए आंकड़ों के मुताबिक हाई कोर्ट के प्रत्येक न्यायाधीश के पास 4,419 मामले लंबित हैं, जबकि निचली अदालतों के प्रत्येक जज के पास इनकी संख्या 1,288 है। आंकड़ों में सिर्फ लंबित मामलों का ही जिक्र नहीं किया गया बल्कि इसमें न्यायालयों में जजों की स्वीकृत संख्या और कार्यरत संख्या का भी जिक्र किया गया है।

अधीनस्थ न्यायालयों में जजों की स्वीकृत संख्या 22,644 है। वहीं इन अदालतों में कार्यरत जजों की बात करें तो यह 17,509 बैठती है। इस तरह 5,135 न्यायिक अधिकारियों की कमी है। वहीं उच्च न्यायालयों की बात करें तो यहां पर स्वीकृत जजों की संख्या 1,079 है। हालांकि पदासीन न्यायाधीशों की बात करें तो यह संख्या 695 बैठती है। इस तरह देश के हाई कोर्ट में 384 न्यायाधीशों की कमी है।


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