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Bull cloning से सुधारी जाएगी दुधारू पशुओं की नस्ल

हिसार के सेंट्रल इंस्टीट्यूट फार रिसर्च आन बफैलोज (सीआईआरबी) और करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनडीआरआई) में क्लोन बुल तैयार करने की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 10:21 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 10:21 PM (IST)
Bull cloning से सुधारी जाएगी दुधारू पशुओं की नस्ल
Bull cloning से सुधारी जाएगी दुधारू पशुओं की नस्ल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार के लिए आधुनिक बुल क्लोनिंग तकनीक का सहारा लिया जाएगा। देश में अच्छी प्रजाति की भैंस के सांड़ (बुल) की भारी कमी है, जिसे पूरा करने के लिए यह तकनीक बेहद मुफीद साबित होगी। इस आधुनिक तकनीक में सीमित बुल (सांड़) से ही अधिकाधिक जरूरतें पूरी की जा सकेंगी।

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इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डाक्टर त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि अच्छी क्वालिटी के सीमन के लिए जरूरी बुल तैयार करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। डा. महापात्र बुधवार को यहां' यूज आफ क्लोंड बुल सीमन फार ब्रीड इंप्रूवमेंट' विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।

डाक्टर महापात्र ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए धनाभाव कभी रोड़ा नहीं बनने पायेगा। उन्होंने कहा कि देश में हरियाणा स्थित दो प्रमुख संस्थानों में इस दिशा में अहम रिसर्च किये जा रहे हैं।

यहां के हिसार के सेंट्रल इंस्टीट्यूट फार रिसर्च आन बफैलोज (सीआईआरबी) और करनाल के नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनडीआरआई) में क्लोन बुल तैयार करने की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। उन्होंने सेमिनार में हिस्सा ले रहे वैज्ञानिकों से कहा कि दुग्ध उत्पादन की दिशा में संतोषजनक प्रगति के लिए अच्छी प्रजातियों के पशुओं की सख्त जरूरत है।

सेमिनार में बताया गया कि हरियाणा के दोनों रिसर्च संस्थानों में नीली रावी और मुर्रा नस्ल की भैंस के क्लोन बुल बनाने पर काम चल रहा है। आने वाले छह महीने के भीतर कम से कम दो दर्जन अच्छी प्रजाति के बुल तैयार कर लिए जाएंगे। इनके बच्चे आधुनिक तरीके से सेरोगेटिव मदर के पेट में पल रहे हैं। उनके दिसंबर से फरवरी के बीच अधिक से अधिक क्लोन बुल के बच्चे पैदा हो जाएंगे।

डाक्टर महापात्र ने बताया कि देश में फिलहाल मात्र 30 फीसद भैंस में ही आर्टिफिशियल तरीके से गर्भ धारण कराया जाता है, जो बहुत कम हैं। क्वालिटी सीमन के लिए कई संस्थानों में रिसर्च हो रहा है।

बुल फार्मिग के लिए प्राइवेट लोगों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि प्राकृतिक तौर पर भी गर्भ धारण कराया जा सके। देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे पशुधन विकास में बेहतर कार्य करने वाले उन्नत किसानों के पास भी कुछ अच्छे बुल हैं। लेकिन आधुनिक क्लोनिंग सिस्टम इनकी संख्या को दस गुना तक बढ़ाया जा सकता है। सरकार इसके लिए पर्याप्त धन मुहैया कराने को तैयार है।


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