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वोडाफोन व केयर्न जैसे विवादों के सुलझने का रास्ता साफ

यूपीए से विरासत में मिले बड़े टैक्स विवादों को सुलझाने और विदेशी निवेशकों की शंकाएं दूर करने के लिए मोदी सरकार ने आम बजट 2016-17 में बड़ा कदम उठाया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Feb 2016 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 29 Feb 2016 09:11 PM (IST)
वोडाफोन व केयर्न जैसे विवादों के सुलझने का रास्ता साफ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूपीए से विरासत में मिले बड़े टैक्स विवादों को सुलझाने और विदेशी निवेशकों की शंकाएं दूर करने के लिए मोदी सरकार ने आम बजट 2016-17 में बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वोडाफोन और केयर्न जैसे लंबित कर विवादों को हल करने के लिए 'प्रत्यक्ष कर विवाद निस्तारण योजना-2016' का ऐलान किया है। इस योजना के तहत पूर्व प्रभाव से संशोधन लागू कर टैक्स वसूलने के मामलों में जिन कंपनियों पर टैक्स बकाया है उन पर ब्याज और जुर्माना नहीं लगेगा। ऐसी कंपनियां मात्र टैक्स का भुगतान करके ब्याज और जुर्माने से छूट पा सकती हैं। मौजूदा कानून के तहत ऐसी कंपनियों को बकाया कर के साथ ही जुर्माना और ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

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'प्रत्यक्ष कर विवाद निस्तारण योजना-2016' के तहत 2012 में पूर्व प्रभाव से लागू किए गए टैक्स से जुड़े वोडाफोन और केयर्न के मामलों सहित ऐसे सभी मामले सुलझ सकेंगे जो फिलहाल किसी अदालत, न्यायाधिकरण में लंबित हैं या जिन्हें द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौता (बीआइपीए) के तहत मध्यस्थता में हैं।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये टैक्स की मांग की है। वहीं वोडाफोन पर भी 2007 में हचिसन वाम्पोआ में 11 अरब डालर से 67 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के मामले में भी भारी भरकम कर की मांग की है।

जेटली ने कहा कि उन्होंने जुलाई 2014 के आम बजट में आश्र्वासन दिया था कि सरकार पूर्व प्रभाव से टैक्स लगाकर कर करदेयता नहीं बढ़ाएगी। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई थी 2012 में संशोधन कर पूर्व प्रभाव से लागू कर से जुड़े मामलों को भी शीघ्र ही सुलझाया जाएगा।

जेटली ने दोहराया कि उनकी सरकार स्थिर और सरल कर प्रणाली लाने के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में ऐसे संशोधनों का सहारा नहीं लेंगे। जेटली ने कहा कि उन्होंने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया है जो पूर्व प्रभाव से संशोधन लागू करने संबंधी टैक्स के मामलों पर विचार कर रही है। इस समिति के अध्यक्ष अब राजस्व सचिव होंगे तथा एक विशेष इसमें सरकार से बाहर से रखा जाएगा। सरकार ने जो आश्र्वासन दिए हैं, यह समिति उनके क्रियान्वयन पर नजर रखेगी।

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इस बीच राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा है कि सरकार को उम्मीद है कि कंपनियां इस योजना का फायदा उठाएंगी। सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है। इसका उन्हें लाभ लेना चाहिए।


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