बिना परमिट उड़ रहा था दो वर्ष पहले दुर्घटनाग्रस्त बीएसएफ विमान
रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना के वक्त बीएसएफ के पास सिविल एविएशन रूल के अनुसार विमान उड़ाने का परमिट ही नहीं था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दो वर्ष पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हुआ बीएसएफ का बीचक्राफ्ट सुपरकिंग एयर बी-200 विमान बिना परमिट के उड़ान भर रहा था। दुर्घटना की एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरो द्वारा की गई जांच में यह तथ्य उजागर हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना के वक्त बीएसएफ के पास सिविल एविएशन रूल के अनुसार विमान उड़ाने का परमिट ही नहीं था।
22 दिसंबर, 2015 को हुई दुर्घटना में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पायलट व सह पायलट समेत दस लोग मारे गए थे। डीजीसीए ने पिछले दिनो ही एएआइबी की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
रिपोर्ट में दुर्घटना के लिए विमान सुरक्षा प्रणाली के प्रति बीएसएफ के कामचलाऊ रवैये, निगरानी प्रणाली के अभाव, अधिकारियों की अयोग्यता तथा नौसिखिए पायलटों की नियुक्ति को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 'संगठन (बीएसएफ ) ने उड़ान सुरक्षा विभाग को सही अर्थो में स्थापित नहीं किया है। यद्यपि उड़ानों को आइजी (एयर) की ओर से मंजूरी दी जाती थी और सुरक्षित संचालन के स्पष्ट निर्देश भी उनके द्वारा दिए जाते थे। परंतु जमीनी स्तर पर सुरक्षित आपरेशन की निगरानी अथवा पर्यवेक्षण की ऐसी कोई दस्तावेजी व्यवस्था नहीं थी जिससे इस बात का पता लगाया जा सके कि फ्लाइट क्रू द्वारा लिए गए निर्णय सही थे अथवा नहीं। बीएसएफ के उड़ान सुरक्षा प्रमुख से उम्मीद को की जाती है कि वो सुरक्षा की निगरानी से जुड़ी समस्त गतिविधियों पर अपनी ओर से नजर रखें लेकिन वे इनके लिए प्रशिक्षित नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ में व्यवाहारिक रूप से सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली है ही नहीं। बीएसएफ द्वारा डीजीसीए को सौंपी गई एसएमएस पुस्तिका में अनेक कार्यो का उल्लेख तो है, परंतु उन्हें कैसे करना है इसका कोई विवरण नहीं है। संगठन का मौजूदा ढांचा इसके एयर आपरेशन मैन्युअल के अनुसार नहीं है। इन पदों के लिए जरूरी वरिष्ठ अधिकारी या तो हैं ही नहीं अथवा हैं तो उनमें उन कार्यो को अंजाम देने की योग्यता का अभाव है। हालांकि बीएसएफ वीआइपी लोगों के लिए विमान सेवाएं संचालित करता है जिसके लिए अत्यंत अनुभवी फ्लाइट क्रू की आवश्यकता होती है। लेकिन संगठन ने नौसिखिए पायलटों को भर्ती कर लिया और कम अनुभव के बावजूद उन्हें बिना किसी निगरानी के आपसी सहमति के आधार पर विमान उड़ाने की अनुमति दे दी।