IPS अधिकारी का भाई डॉ शम्स बना आतंकी, हिजबुल मुजाहिदीन ने जारी की तस्वीर
हिजबुल मुजाहिदीन ने सोशल मीडिया पर डॉ. शम्स उल हक समेत 16 कश्मीरी लड़कों की हथियारों संग तस्वीरें वायरल की हैं।
श्रीनगर (राज्य ब्यूरो)। हिजबुल मुजाहिदीन ने रविवार को आतंकी बुरहान वानी की दूसरी बरसी पर सोशल मीडिया पर डॉ. शम्स उल हक समेत 16 कश्मीरी लड़कों की हथियारों संग तस्वीरें वायरल की हैं। सभी मई के अंतिम सप्ताह से लेकर बीते शनिवार तक हिजबुल में शामिल हुए हैं। डॉ. शम्स उल हक 22 मई को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र जकूरा से गायब हुआ था। उसी दिन से उसके आतंकी बनने की आशंका जताई गई थी, लेकिन कोई पुष्टि नहीं कर रहा था। आतंकी संगठन द्वारा जारी की गई तस्वीर में डॉ. शम्स के हाथ में एके 47 हैं और इसके साथ तस्वीर में उसकी रैंक का भी उल्लेख है।
डॉ. शम्स के बड़े भाई इनाम उल हक मेंगनू 2012 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इस समय वह असम में तैनात हैं। डॉ. शम्स शोपियां का रहने वाला है। आतंकी संगठन ने उसका कोड नाम बुरहान सानी रखा है। द्रगड़-शोपियां में पहली अप्रैल को लश्कर व हिजबुल के सात आतंकी जिस मकान में मारे गए थे, वह डॉ. शम्स के परिवार का ही है। मारे गए आतंकियों में एक दुर्दांत आतंकी जुबैर तुर्रे भी था जो डॉ. शम्स का रिश्तेदार था।
डॉ. शम्स इस साल आतंकी संगठन में शामिल होने वाले 80 से अधिक युवकों में ज्यादा पढ़े लिखे चार युवकों में से एक है। कुपवाड़ा काजहूर अहमद मीर व हंदवाड़ा का अब्दुल गनी ख्वाजा और फुरकान रशीद लोन भी तस्वीर में है। जहूर अहमद मीर मई में लापता हुआ था, उसके परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई है। पुलवामा के बाबहारा गांव का वाजिद उल इस्लाम हिजबुल आतंकी है। उसका कोड हाफिज अनस रखा गया है। वह मौलवी था। वहीं करालवारी चाडूरा के शिराज अहमद बट को कोड समीर टाइगर दिया गया है।
इस साल 50 से अधिक कश्मीरी युवक बने आतंकी
इससे पहले रविवार को डोडा जिले के आबिद भट नामक युवक के भी आतंकियों के साथ जाने की आशंका जताई गई। इस मामले में डोडा के एसएसपी का कहना है, 'हमें सोशल मीडिया के जरिए जानकारी मिली है कि 30 जून से लापता आबिद भट नाम के शख्स ने आतंकी संगठन का रुख किया है।
वहीं अप्रैल में शोपियां जिले से मीर इदरीश सुल्तान नामक एक सिपाही गायब हो गया था। बाद में सामने आया कि वह जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया है। इस साल छह महीनों के भीतर 50 से अधिक कश्मीरी युवक हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गए हैं, जो सुरक्षाबलों के लिए एक चिंता का विषय है।