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ब्रिटिश कोर्ट ने पहली बार शरई कानून को मानते हुए महिला को दी तलाक की इजाजत

हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि तलाक लेने पर महिला अपने पति की संपत्ति में आधे हिस्से का दावा भी कर सकती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 07:03 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 08:03 AM (IST)
ब्रिटिश कोर्ट ने पहली बार शरई कानून को मानते हुए महिला को दी तलाक की इजाजत
ब्रिटिश कोर्ट ने पहली बार शरई कानून को मानते हुए महिला को दी तलाक की इजाजत
नई दिल्ली, जेएनएन। ब्रिटेन की एक अदालत ने पहली बार शरई कानून को मानते हुए मुस्लिम महिला को तलाक लेने की इजाजत दे दी है। हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि तलाक लेने पर महिला अपने पति की संपत्ति में आधे हिस्से का दावा भी कर सकती है। नसरीन अख्तर की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

नसरीन और मुहम्मद शाहबाज खान की शादी इस्लामिक रीति-रिवाज से 1998 में हुई थी। दोनों पाकिस्तान मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं। नसरीन अपने पति से तलाक लेना चाहती थी, लेकिन, शाहबाज इस आधार पर इसका विरोध कर रहा था कि दोनों ने शरई कानून के तहत निकाह किया है।

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ब्रिटिश कानून के तहत उनका कानूनी रूप से विवाह नहीं हुआ है, लेकिन, अदालत ने कहा कि दोनों की शादी ब्रिटेन में वैध थी, क्योंकि निकाह के वक्त उन्होंने जो शपथ लिए थे, वे ब्रिटिश कानून से मिलते-जुलते हैं। इसका मतलब हुआ कि कोई महिला चाहे, तो वह आसानी से तलाक भी ले सकती है।


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