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ब्रिक्स के निशाने पर पाक परस्त आतंकी संगठन

शियामिन ब्रिक्स घोषणा पत्र में पहली बार लश्कर व जैश का नाम...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 04 Sep 2017 10:05 PM (IST)Updated: Mon, 04 Sep 2017 10:05 PM (IST)
ब्रिक्स के निशाने पर पाक परस्त आतंकी संगठन
ब्रिक्स के निशाने पर पाक परस्त आतंकी संगठन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इसे आप आतंकवाद के खतरे को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की बढ़ती संवेदनशीलता कहिए या भारत की दृढ़ व सटीक कूटनीतिक पहल का नतीजा। कारण जो भी हो ब्रिक्स घोषणा पत्र भारत के लिए एक जीत से कम नहीं है। ब्रिक्स के पांचों सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद जारी घोषणापत्र में पहली बार पाकिस्तान के सहयोग से फल फूल रहे आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम दुनिया के अन्य खूंखार आंतकी संगठनों के साथ जोड़ा गया है। कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिका की अफगान नीति से हलकान पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए यह दोहरा धक्का है। क्योंकि भारत में कई खूनी वारदात को अंजाम दे चुके इन संगठनों के नाम को शामिल करने के लिए चीन की भी रजामंदी है।

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सोमवार को चीन के शियामिन शहर में जारी ब्रिक्स घोषणा पत्र में कहा गया है कि, ''हम दुनिया के कई क्षेत्रों में तालिबान, जैश (आईएसआईएस), अल कायदा, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश ए मोहम्मद, टीटीपी आदि हिंसा फैलाने से सुरक्षा को लेकर उपजी स्थिति पर चिंता जताते हैं।'' भारत की कूटनीतिक जीत मानने की वजह यह है कि पिछले वर्ष गोवा में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की तमाम कोशिशों के बावजूद पाक परस्त इन आतंकी संगठनों का नाम घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया गया था। तब माना गया था कि चीन और कुछ हद तक रूस ने भी भारत की कोशिशों को धक्का दिया था।लेकिन अब सिर्फ इन संगठनों का नाम नहीं लिया गया है बल्कि आतंक के खिलाफ जो अन्य बातें कहीं गई है वह भी भारत की चिंताओं के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता दिखाती है।

घोषणा पत्र साफ तौर पर चीन के बदलते मिजाज को दर्शाता है। क्योंकि इसमें पहली बार हर तरह की आतंकी गतिविधियों की भ‌र्त्सना करते हुए कहा गया है कि - 'किसी भी वजह से आतंकी घटनाओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता। आतंकी संगठनों के साथ इन्हें मदद करने वाले संगठनों को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।' सनद रहे कि पिछले वर्ष ब्रिक्स सम्मेलन में चीन ने कहा था कि आतंकवाद की मूल वजहों पर भी ध्यान देना चाहिए। अभी तक इस मामले में पूरी तरह से अपने मित्र राष्ट्र पाकिस्तान के साथ दिख रहा था जो भारत में अपनी आतंकी समर्थन को जम्मू व कश्मीर से जोड़ कर पेश करता है।

मौलाना मसूद पर कसेगा शिकंजा

ब्रिक्स घोषणा पत्र में जिस तरह से जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया गया है उससे यह सवाल उठता है कि क्या अब इस संगठन के मुखिया मौलाना मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की राह खुलेगी। अभी तक अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव यूएन में सिर्फ चीन की वजह से गिरता रहा है। चीन ने हमेशा वीटो का इस्तेमाल कर इस बारे में निराश किया है। पिछले महीने की शुरुआत में ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका की मदद के बावजूद चीन के अडि़यल रवैये से अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया था। इस पर नया प्रस्ताव अब अक्टूबर, 2017 के बाद ही लाया जा सकता है। अब चीन का रवैया बदलता है या नहीं यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन भारत ब्रिक्स घोषणा पत्र के आधार पर इ बारे में दावेदारी और मजबूती से रख सकेगा।

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