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रिश्वत की पेशकश मामले में एंटनी व नायर से पूछताछ

कोयला घोटाले के बाद अब टाट्रा ट्रक खरीद घोटाले की जांच भी प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। सीबीआइ ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार टीकेए नायर से पूछताछ की है। इसके साथ रक्षा मंत्री एके एंटनी का भी बयान दर्ज किया गया है। वैसे सीबीआइ ने साफ कर दिया है कि इस मामले में एंटनी आरोपी नह

By Edited By: Published: Wed, 07 May 2014 06:09 AM (IST)Updated: Wed, 07 May 2014 06:06 PM (IST)
रिश्वत की पेशकश मामले में एंटनी व नायर से पूछताछ

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोयला घोटाले के बाद अब टाट्रा ट्रक खरीद घोटाले की जांच भी प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। सीबीआइ ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार टीकेए नायर से पूछताछ की है। इसके साथ रक्षा मंत्री एके एंटनी का भी बयान दर्ज किया गया है। वैसे सीबीआइ ने साफ कर दिया है कि इस मामले में एंटनी आरोपी नहीं, बल्कि गवाह हैं और इसी रूप में उनका बयान लिया गया है।

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गाजियाबाद से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार व पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने 1600 टाट्रा ट्रकों की खरीद को हरी झंडी देने के लिए पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह पर 14 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। जनरल वीके सिंह ने 22 सितंबर 2010 को की गई रिश्वत की पेशकश की जानकारी तत्काल रक्षा मंत्री एके एंटनी को दी थी। इसके साथ ही जनरल सिंह का कहना था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार टीकेए नायर ने टाट्रा ट्रक सौदे को रद करने के उनके फैसले का विरोध किया था।

सीबीआइ के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, एके एंटनी को सवालों की सूची भेजकर उनका जवाब मांगा गया, क्योंकि वह आरोपी नहीं हैं। एक गवाह के रूप में उनका बयान अहम है। वहीं, टीकेए नायर से जांच अधिकारी ने आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की है। नायर से इसके पहले कोयला घोटाले के सिलसिले में भी पूछताछ की गई थी, लेकिन उस समय उन्हें सवालों की सूची भेज कर जवाब मांग लिया गया था। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन दोनों से पूछताछ के बाद जल्द ही इस मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पर फैसला किया जाएगा, जबकि सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा कि दोनों के बयान गवाह के रूप में दर्ज हुए हैं।

गौरतलब है कि रिश्वत की पेशकश के लगभग डेढ़ साल बाद वीके सिंह ने मार्च 2012 में इसका खुलासा किया था। छह माह तक प्रारंभिक जांच करने और वीके सिंह के आरोपों में सच्चाई पाए जाने के बाद अक्टूबर, 2012 में सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की थी। लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए जनरल वीके सिंह के खिलाफ अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था।

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