जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमाम हाईटेक निगरानी के बावजूद राजग सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत में भी घोटालेबाज सेंध लगाने में सफल रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना को लागू और निगरानी करने वाले नेशनल हेल्थ अथारिटी (एनएचए) के डिप्टी सीइओ प्रवीण गेडाम का दावा है कि वह खुद ही इन घोटालेबाजों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। वहीं देश के निजी अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआइ) के डीजी डा. गिरिधर ज्ञानी का कहना है कि योजना को लागू करने में आधारभूत कमियां इसके लिए जिम्मेदार हैं।
आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़ा
दरअसल आयुष्मान भारत में नई तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। जिनमें गुजरात में एक ही परिवार के नाम पर 1700 लोगों का कार्ड बनाए जाने, छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के नाम पर 109 कार्ड बनाने व उनमें से 57 की आंख की सर्जरी कराने और 171 अस्पतालों द्वारा फर्जी बिल भेज कर भुगतान लेने जैसे मामले शामिल हैं। बताया जाता है कि अभी तक दो लाख से अधिक फर्जी कार्ड का मामला सामने आया है।
अस्पताल में होने वाले इलाज पर कड़ी नजर
गेडाम के अनुसार आयुष्मान भारत के तहत बनने वाले कार्ड और अस्पताल में होने वाले इलाज पर कड़ी नजर रखी जा रही है, जिसके कारण ये गड़बडि़यां पकड़ी जा रही हैं। उनके अनुसार एनएचए के तहत गठित नेशनल एंटी फ्राड यूनिट (एनएएफयू) ने आयुष्मान भारत के तहत संदिग्ध कार्डो की पहचान की है और संबंधित राज्य सरकारों को इन पर कार्रवाई के लिए कहा भी गया है। उनके अनुसार जिन 171 अस्पतालों द्वारा फर्जी बिल भेजने की बात की गई है, उन्हें प्रतिबंधित किया जा चुका है और उनसे जुर्माना सहित चार करोड़ रुपये वसूले भी गए हैं।
आयुष्मान भारत के पैनल में अस्पतालों के शामिल करने की जिम्मेदारी राज्यों पर
वहीं एएचपीआइ के डीजी गिरधर ज्ञानी आयुष्मान भारत को लागू करने में मूलभूत कमियां ऐसे घोटाले के मूल में है। उनके अनुसार आयुष्मान भारत के पैनल में अस्पतालों के शामिल करने की जिम्मेदारी राज्यों पर सौंप दी गई है, जिनमें बड़े पैमाने पर गड़बडि़यां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कई निजी अस्पतालों ने पैनल में शामिल करने के लिए रिश्वत मांगे जाने की लिखित शिकायत भी की थी, जिस बारे में एनएचए के सीईओ को बता दिया था और उनपर कार्रवाई भी हुई।
योजना को लागू करने में आधारभूत कमियां इसके लिए जिम्मेदार
वहीं आयुष्मान भारत के विभिन्न इलाज पर आने वाले खर्चे का वैज्ञानिक आंकलन नहीं किया गया है। कुछ इलाज तो ऐसे हैं कि एनएचए द्वारा निर्धारित राशि में उनका इलाज हो ही नहीं सकता है। ऐसे में निजी अस्पताल गड़बड़ी कर इसकी भरपाई करने की कोशिश करते हैं। वहीं डा. प्रवीण गेडाम का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पर गहराई से नजर रखी जा रही है और गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई भी हो रही है।
देश के 50 करोड़ गरीब लोगों का पांच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा
गौरतलब है कि आयुष्मान योजना के तहत देश के 50 करोड़ गरीब लोगों का पांच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पीएमओ में दिया योजनाओं का प्रजेंटेशन
इस योजना के तहत अब तक 70 लाख से अधिक गरीबों का इलाज भी हो चुका है। 11 करोड़ से अधिक लोगों को कार्ड जारी किया गया है। वहीं शुक्रवार की शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने कामकाज का प्रजेंटेशन दिया।
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