SCO Meeting: अफगानिस्तान के हालात और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से मुकाबला करने के उपायों पर एससीओ की बैठक में मंथन
सोमवार को नई दिल्ली में भारत पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आतंकवादरोधी विशेषज्ञों की बैठक हुई। इसमें विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों को लेकर चर्चा की गई। इसमें पाकिस्तान का तीन सदस्यीय दल भी शामिल हुआ। पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत, पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आतंकवादरोधी विशेषज्ञों ने सोमवार को नई दिल्ली की मेजबानी में आयोजित बैठक में विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। यह बैठक एससीओ के आतंकवाद रोधी क्षेत्रीय ढांचे (आरएटीएस) के तहत आयोजित की गई।
बैठक के बारे में सूत्रों ने बताया कि इसमें अफगानिस्तान की स्थिति पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया जिसमें तालिबान शासित देश में सक्रिय आतंकी संगठनों से निपटने से जुड़े खतरे शामिल हैं। पाकिस्तान ने बैठक में हिस्सा लेने के लिए एक तीन सदस्यीय दल भेजा है। भारत ने 28 अक्टूबर को एक वर्ष की अवधि के लिए एससीओ-आरएटीएस परिषद की अध्यक्षता संभाली थी।
भारत ने एससीओ और इसके क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई है, जो खास तौर पर सुरक्षा एवं रक्षा से जुड़े मुद्दों से निपटता है। इसी तरह का एक सम्मेलन भारत ने पिछले वर्ष दिसंबर में आयोजित किया था जिसमें सभी सदस्य देशों ने हिस्सा लिया था।
एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक एवं सुरक्षा समूह है जो एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा है। एससीओ के सदस्य देशों में रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान शामिल हैं। अफगानिस्तान को इस समूह में पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त है।
अफगानिस्तान के दूत फरीद मंमूदजई ने ट्वीट किया कि मैं शंघाई सहयोग संगठन की आतंकवाद रोधी इकाई क्षेत्रीय आतंकवादरोधी ढांचे की सोमवार को नई दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक के आयोजन के लिए भारत को धन्यवाद देता हूं। पिछले नौ महीने में अफगानिस्तान में सुरक्षा एवं मानवीय सहायता की स्थिति खराब हुई है।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इस बैठक में अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी और समाधान तलाशे जाएंगे। उन्होंने कहा कि गंभीर क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग विशेष तौर पड़ोसी देशों से सहयोग अफगानिस्तान एवं क्षेत्र में शांति एवं विकास के लिये एक मात्र रास्ता है।
गौरतलब है कि भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाले शासन को अभी मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में सच्चे अर्थो में एक समावेशी सरकार के गठन की हिमायत करता रहा है। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ आतंकवाद के लिये नहीं किया जाना चाहिए।